सरायमीर। सरायमीर एस. एन. बी. स्थानीय थाना क्षेत्र के मदरसा इस्लाह के उप प्रबन्धक व जामेतुल तैयाबात के स्थापनकर्ता मौलाना अहमद महमूद इस्लाही उर्फ जोरार अहमद इस्लाही का लम्बी बिमारी के बाद दिनांक 12 दिसम्बर 018 को 90 वर्ष की उम्र में देहान्त हो गया।
जोरार अहमद इस्लाही के मौत की खबर ज्योंही क्षेत्र में हुई पूरे क्षेत्र में गम का माहौल छा गया मृतक का कफन दफन मदरसा इस्लाह के कब्रिस्तान में किया गया । मौलाना का अंतिम दर्शन एवं दफनाने के लिए उमड़ा हजारों का हुजूम।मौलाना अहमद महमूद इस्लाही का जन्म उनके ननिहाल ग्राम बखरा में दिनांक 7 जनवरी 1929 को हुआ था बचपन में माता-पिता का देहान्त हो गया पालन-पोषण दादा हाफिज नूर मोहम्मद अपने घर तोवां थाना निजामाबाद में किया और घर पर ही पवित्र कुरआन का हिफज कराकर गांव के ही प्राईमरी स्कूल में दाखिला कराया। वहां से पढ़ाई करने के बाद 29 मई 1940 में पढ़ने के लिए मदरसा इस्लाह सरायमीर में दाखिला लिया इस्लाह से पढ़ाई पूरी करने के बाद कस्बा सरायमीर में कौशर प्रेस के नाम से छपाई का काम शुरू किया मदरसा इस्लाह की कमेटी ने मौलाना की काबिलियत को देखते हुए दिनांक 15 मई 1978 को इस्लाह का उप प्रबंधक नियुक्त कर दिया वह 9 नवम्बर 1991 तक उप प्रबंधक का कार्यभार संभाला। 1960 में गांव में ही मदरसा महबूबिया इस्लामिया के नाम से मदरसा कमाया किया गांव में ही बच्चियों के लिए 1984 में जामेतुल तैयाबात के नाम निसवां स्कूल की स्थापना रखी। मौलाना आलमेदीन के साथ अच्छे साहित्यकार व जमाते इस्लामिया के वरिष्ठ कार्यकर्ता थे। इस कारण देश में इमर्जेंसी लागू होने पर मौलाना जेल में गए थे। वह अपने सलाहियत व काबलियत से कौम और देश की सेवा किया। वर्तमान में कस्बा से सटे ग्राम पवई लाडपुर के मोहल्ला नई कालोनी में मकान बनाकर रह रहे थे। काफी समय से बीमार चल रहे थे जिनका दिनांक 12 दिसंबर 018 को 90 वर्ष की उम्र में देहान्त हो गया। दिनांक 13 दिसम्बर 018 को मदरसा इस्लाह के कब्रिस्तान में लगभग सात हजार की संख्या में लोगों पहुंचकर मौलाना सरफराज के इमामत पर नमाज़ जनाजा अदा कर दफनाने का कार्य किया।
रिपोर्ट- ब्यूरो