सरदार सेना ने सपा बसपा कार्यालयों का घेराव कर सांसद प्रतिनिधियों को 5 सूत्रीय मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन।

आज़मगढ़।

रिपोर्ट: वीर सिंह

आज़मगढ़। सरदार सेना सामाजिक संगठन ने ओबीसी एससी एसटी के आरक्षण अधिकारों पर वर्तमान सरकार द्वारा किए जा रहे लगातार कुठाराघात को लेकर आज सपा बसपा कार्यालय का घेराव कर सांसद के प्रतिनिधियों को छः सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा।
बताते चलें कि वर्तमान सरकार के जातिगत रवैया से क्षुब्ध सरदार सेना के कार्यकर्ताओं ने  निर्णय लिया था कि अपनी आवाज को संसद तक पहुंचाने के लिए सांसदों का घेराव कर अपनी 6 सूत्रीय मांगों को उनके समक्ष रखा जाएगा।
लेकिन लेकिन जनपद में सांसदों के न मिलने पर सपा और बसपा कार्यालय पर पदाधिकारियों को ज्ञापन सौंपा।


इस मौके पर कार्यकर्ताओं ने कहा कि- लगातार ओबीसी एससी एसटी के साथ दोहरी नीति अपनाई जा रही है।
 हमारे अधिकारों पर कुठाराघात किया जा रहा है, जबकि 49.5 परसेंट ही आरक्षण संपूर्ण वंचितों को प्राप्त हो पाया है।

 50.5% में सवर्ण वर्ग देश भर के तमाम नौकरियों में अकेले नंगा नाच रहा है।
 इसके बाद भी मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में 10% आरक्षण आर्थिक आधार पर सवर्णों को अलग से दे दिया।
 जबकि सवर्ण समाज पहले से ही सामाजिक शैक्षणिक व आर्थिक रूप से संपन्न है।
 इतना ही नहीं आरक्षण विरोधी सरकार के इशारे पर देशभर की अदालतों में बैठे मनुवादी न्यायाधीशों द्वारा समस्त वंचित वर्गों को प्रतिनिधित्व के नाम पर ठगने धोखा देने का काम किया जा रहा है।

जो देश के वंचित वर्गों के साथ धोखा है हमारे अधिकारों पर बार-बार कुठाराघात इसीलिए होता है कि हमारे द्वारा चुने गए सांसदों को हमारी चिंता नहीं है।
 सदन में आवाज नहीं खुलती है और यह सिर्फ अपनी मौज मस्ती में रहते हैं।
 इसलिए आज हम अपने अधिकारों के लिए अपनी 6 सूत्रीय मांगों को लेकर सांसदों का घेराव किए हैं।
उनकी प्रमुख मांगों में पहली मांग थी कि- सुप्रीम कोर्ट द्वारा वंचित वर्गों के प्रमोशन में आरक्षण पर रोक लगा दी गई, साथ ही आरक्षण को संविधान प्रदत्त अधिकार के बजाय प्रदेश सरकार की कृपा से मिली खैरात बना दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के इस सामंतवादी आदेश को तत्काल निरस्त कराया। जाए।

 उनके दूसरी मांग थी कि- उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा वंचित वर्गों के ओवर लैंपिंग को समाप्त कर दी गई आखिर क्यों?

अतः यह मांग है कि- उपरोक्त निर्णय को तत्काल निरस्त कराया जाए।

उनकी तीसरी मांग थी कि- एनपीआर की कोई जरूरत नहीं है। बल्कि केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय जातिगत जनगणना तत्काल कराई जाए ताकि समस्त वंचित वर्गों की संपूर्ण भागीदारी सुनिश्चित की जा सके, और सामाजिक शैक्षणिक और आर्थिक दृष्टिकोण से देश में समानता लागू हो सके।


 उनकी चौथी मांग थी कि- भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक सेवा आयोग तत्काल गठित किया जाए। क्योंकि प्रदेश के हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के तमाम मनुवादी न्यायाधीशों द्वारा वंचित वर्ग के अधिकारों पर लगातार कुठाराघात किया जा रहा है।
 इसलिए राष्ट्रीय न्यायिक सेवा आयोग बनाकर वंचित वर्गों को आबादी के अनुपात में निचली अदालत से लेकर शीर्ष अदालत तक सभी पदों पर संपूर्ण प्रतिनिधित्व लागू किया जाए।

पांचवी मांग थी कि- देशभर के सरकारी संस्थानों और सरकारी संस्थानों में निम्न से लेकर उच्च पदों की आबादी के अनुपात में संपूर्ण प्रतिनिधित्व लागू किया जाए।
 छठवीं और आखिरी मांग थी कि वंचित वर्गों के अधिकारों का हनन 1950 से लेकर अब तक जिन जिन विभागों में हुआ है। उन सभी विभागों में आबादी के अनुपात में बैकलॉग नियुक्ति तत्काल लागू कराई जाए।

इस घेराव और धरना प्रदर्शन में प्रमुख रूप से परमानंद सिंह, नारद पटेल, श्रीनिवास पटेल, मुकेश सिंह, मान सिंह, वरुण सिंह, विद्यासागर पटेल, भजुराम प्रधान, जयराम पटेल, अजय सिंह आदि लोग शामिल थे।
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