आज़मगढ़।
रिपोर्ट: वीर सिंह
आजमगढ़ 02 जनवरी-- मंजू शर्मा पत्नी महेन्द्र शर्मा ग्राम अहियाई विकास खण्ड मेंहनगर की निवासी हैं। इनके परिवार में कुल 08 सदस्य हैं, पति इनके फर्नीचर का कार्य व खेती करते है। परिवार का पालन पोषण बडी कठिनाईयों के साथ चला रहा था, लेकिन कुछ बचत नही हो पाता है और इनके पास कुल 2 लडकी है। इनके पास 3 विघा जमीन है, जिससे कुछ अनाज घर पर आ जाते है लेकिन तब भी परिवार का खर्चा नही चल पा रहा था। जब दीदी समूह में नही जुडी थी, तब वह बहुत परेशान व तनाव में रहती थी। खेती से उतना अनाज नही हो पाता था कि दीदी अपने परिवार का पालन-पोषण कर सके और बच्चो के उचित शिक्षा का प्रबन्ध कर सके। मंजू दीदी वर्ष 2015 में खाना बनाते समय बुरी तरह झुलश गयी, घर पर मुसीबतों का पहाड़ सा आ गया। दीदी के इलाज हेतु साहूकार से 50,000 रूपये का ऋण लेना पड़ गया।
16 सितम्बर 2017 को जीविका बिहार से आई कम्यूनिटी रिर्सोर्स पर्सन (सी0आर0पी0) द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन मेहनगर के माध्यम से इस गाॅंव में समूह गठन हेतु एक आम सभा किया, जिसमें (पी0आई0पी0) सामूदायिक सहभागी पद्धति के द्वारा गरीबों का चयन किया गया, जिसमें योजना के बारें में विस्तृत जानकारी दी गयी, उसके बाद 13 सदस्य मिलकर दूर्गा माँ आजीविका स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया। सी0आर0पी0 के द्वारा समूहो को बेसिक प्रशिक्षण, जैसे कि एम1 में गरीबी के कारण समूह की आवश्यकता, एम2 बैठक की प्रक्रिया पंचसूत्रा का पालन और एम3 नेता गुण, लेखांकन का महत्व, प्रशिक्ष्ण के बाद उनमें क्षमतावर्धन देखा गया। दिनांक जनवरी 2018 को आशा यादव का पशु सखी में चयन किया गया। मंजू दीदी समूह में जुडने के बाद बिहार प्रदेश के गया जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े ग्राम संगठन, सीएलएफ का एक्सपोजर विजिट किया और देखा कि वहाॅ समूह से जुडी दिदिया कैसे अपनी आजीविका के लिए आत्मनिर्भर है। इसके बाद दीदी अपने कार्यकुशला एवं मेहनत से जनवरी 2019 को ब्लाक पर आयोजित ब्लाक रिसोर्स पर्सन की परीक्षा पास कर, इसमें चयन होकर अपनी एवं अपने परिवार की आजीविका चला रही है। मंजू दीदी यही नही रुकी, इसके बाद दीदी अपने ग्राम संगठन एवं ब्लाक कार्यालय से मिलकर अपने ग्राम संगठन के सदस्यों के साथ मिलकर पूर्ण मनरेगा कार्यो में लगने वाले सीआईबी बोर्ड का निर्माण कर मेहनगर के ग्राम पंचायतों में पहुचाने लगी, इसमें सहयोग कर रही थी, वीओ की अन्य दिदियाॅ। मंजू दीदी अभी तक 2010 सीआईबी बड़ा, 60 छोटा तथा 51 पूर्ति कर चुकी है।
मंजू दीदी समूह से जुडी और नियमित रूप से समूह के बैठक में भाग लेना शूरू किया। प्रारम्भ में मंजू दीदी ने समूह से छोटे-छोटे लेन-देन करती थी। जब मंजू दीदी का चयन समूह सखी में किया गया और उनको 12 दिन का प्रशिक्षण मेहनगर ब्लाक पर दिया गया, प्रशिक्षण में उनको समूह एवं इसकी अन्य गतिविधियों के बारे में जानकारी दी गई। दीदी ने समूह से 20,000 का ऋण लिया, उस ऋण से उन्होने अपने पति के लिए फर्नीचर की दुकान खोली और अपना रोजगार बढाया। धीरे-धीरे दीदी की आजीविका में सुधार होता गया और दीदी अपने इलाज में लिए गए ऋण को भी भरकर मुक्त हुयी।
आज मंजू दीदी ब्लाक के अन्य दिदियों के लिए रोल माडल बनी हुयी है। दीदी कहती हैं कि सदा संकट के समय धैर्य से काम लेना चाहिए, मुश्किल परिस्थितियो में भी हार नहीं माननी चाहिए। दीदी आज ब्लाक रिसोर्स पर्सन के पद पर कार्य करते हुए, ग्राम संगठन के माध्यम से सीआईबी बोर्ड पूर्ति करने में भी सहयोग कर अपनी आजीविका में आत्मनिर्भर हो चुकी है।