सफलता की कहानी समूहों की जुबानी, कई परिवारों को गरीबी के दलदल से बचाकर उनके जीवन को दे दी एक नई दिशा।

आज़मगढ़।

रिपोर्ट: वीर सिंह

आजमगढ़ 04 जनवरी-- कहानी जनपद आजमगढ़ के सठियाव विकास खंड के ग्राम सुराई की रहने वाली एक गरीब परिवार की सामान्य महिला गीता देवी की है। गीता देवी के परिवार में पति और 2 बच्चो के साथ उनके सास-ससुर भी रहते है और सभी बहुत ही गरीबी और अभाव में अपनी जिंदगी काट रहे थे। गीता देवी अपने पति के साथ मजदूरी करके अपने परिवार को पाल रही थी द्य गीता देवी और उनका परिवार कुछ अपना काम करना चाहते थे लेकिन संसाधन का अभाव और अकेलापन होने की वजह से कोई भी उन पर विश्वास नहीं कर सकता था, और कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था और समय इसी प्रकार से निकलता जा रहा था।
गीता देवी और उनका परिवार बहुत कोशिश किये, लेकिन आर्थिक और सामाजिक रूप से वंचित होने के कारण उनकी कोशिश बार बार बेकार हो रही थी। 
विकास खंड सठियाॅव का चयन राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत इंटेंसिव विकास खंड के रूप में हो गया और माह दिसम्बर 2019 में गीता देवी के पास के गाँव में आईसीआरपी टीम, स्वयं सहायता समूहों का गठन करने के लिए आ गईं। एक आम सभा में शामिल होने पर गीता देवी को मिशन के बारे में पता चला और दीदीयों ने गीता देवी को स्वयं सहायता समूहों से जीवन में होने वाले बदलाव की बाते विस्तार से बतायी।
गीता देवी ने अपने जैसे लगभग पुरे गाँव के सभी परिवारों को एक साथ बिठा कर उनको मिशन और उनके उद्देश्य के बारे में बताया, फिर क्या था, कड़ी से कड़ी जुडती चली गयी और दीदीयों की सहायता से गाँव सुराई में 12 परिवार से एक स्वयं सहायता समूह का गठन हो गया। उसके बाद ब्लाक मिशन मैनेजर की मदद से गीता देवी और उनके साथ के सदस्यों के बैंक खाते खोलकर उनको आर्थिक सहायता मिलनी शुरू हो गई और समूहों के सदस्यों ने अपने जरूरत से अपनी आपसी बचत और उनका लेन देन करने लगे।
उधर गीता देवी की प्रतिभा को पहचान कर उसको समूह अध्यक्ष के रूप में भी नामित किया गया, जिसकी जिम्मेदारी गीता देवी ने पूरी मेहनत और लगन से निभा रही है। एक दिन गीता देवी के गाँव में ब्लाक मिशन प्रबंधक समूह की बैठक में आये थे और उन्होंने उस समय गीता देवी और समूह के सभी सदस्यों के साथ मिलकर मिशन की सहायता से कैंटीन खोलने का प्रस्ताव दिया, जिसको सभी सदस्यों ने मिलकर चलाने का निर्णय लिया और फिर मिशन से मिलने वाले आर्थिक सहायता से गीता देवी और उनके समूह ने अपने दुकान के लिए बर्तन एवं अन्य सामग्री इकठ्ठा किया और ब्लाक के अधिकारियों और मिशन के सहयोग से ब्लॉक परिसर में कैंटीन खोलने के लिए जगह भी मिली। जिससे उसने अपने साथ कई दुसरे और भी परिवार की आजीविका का साधन तैयार किया। सभी की सहमति से 01 जनवरी 2020 को दुकान का उद्घाटन करने का दिन निर्धारित किया गया, जिसमे मुख्य विकास अधिकारी और खण्ड विकास अधिकारी विकास खण्ड सठियाव ने दीप प्रज्वलित करके दुकान का उद्घाटन किया और पहली खरीददारी भी किया।
आज गीता देवी बड़े हिम्मत और लगन के साथ समूह के साथ मिलकर कैंटीन चला रही है और अपने साथ समूह के अन्य सदस्यों के जीवन स्तर को ऊपर उठा रही हैं और साथ ही साथ उन सभी के परिवार को समूह से समृधि की तरफ ले जा रही है।
आज गीता देवी और उसका परिवार अपने बीते हुए दिनों को याद करते हुए बताता है कि किस तरह आजीविका मिशन ने उसका जीवन में बदलाव किया और उन जैसे कई परिवारों को गरीबी के दलदल से बचाकर उनके जीवन को एक नई दिशा दे दी।

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