1857 की क्रांति में चार महीने तक आजाद रहा आजमगढ़।

आज़मगढ़।

रिपोर्ट: शैलेंद्र शर्मा

गोरख प्रांत प्रचारक ने देवरिया के पैना गांव की घटना का जिक्र कर लोगों को  किया द्रवित।

भक्ति के रंग में रंगा आजमगढ़, सम्मानित हुए पूर्व सैनिक

आजमगढ़। स्वाधीनता का अमृत महोत्सव के समापन अवसर पर पूरा आजमगढ़ देश भक्त के रंग में रंगा गया। गुरूवार की सुबह से ही जगह-जगह से स्कूली छात्र-छात्राओं ने हाथ में तिरंगा के भारत माता की जय और वंदे मातरम के उद्घोष से पूरे शहर का माहौल देश भक्ति बना दिया। उधर जज्जी न्यायालय के मैदान में अमृत महोत्सव आयोजन समिति ने हर्ष उल्लास के साथ बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस भव्य कार्यक्रम का प्रारंभ मुंबई से आए हुए कलाकारों के द्वारा अभिजीत सांस्कृतिक कार्यक्रम के द्वारा प्रारंभ हुआ। नृत्य एवं भव्य मंच की शोभा गरिमा एवं संपूर्ण परिवार की साज सज्जा वरना संपूर्ण परिसर में उत्सव जैसा वातावरण था संपूर्ण परिसर में सुंदर मैट्रिक एवं रंग बिरंगी कुर्सियां अपनी छटा बिखेर रही थी। इस दौरान पूर्व सैनिकों व स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सौ पुत्रों को भी सम्मानित किया गया। 
मुख्य वक्ता गोरख प्रांत प्रचारक सुभाष जी ने कहा कि आज जिस आजादी की बात की जा रही उसे प्राप्त करने के लिए देश के नौजवानों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया है। स्वयं आजमगढ़ के युवाओं ने इस धरती को 1857 की क्रांति में चार महीने तक आजाद रखा था। उन्होंने देवरिया के पैना गांव की घटना का जिक्र कर लोगों को द्रवित कर दिया। वहीं रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल दुष्यंत सिंह ने कहा कि देश की आजादी में 75 वर्ष बीत गए हैं। ऐसे में कई पीढ़ियां बदल गई हैं। यादें धूमिल पड़ गई है। इन यादों को ताजा करने के लिए यह उत्सव मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जाति, धर्म को दरकिनार कर देश को तरक्की पर लाने के लिए युवाओं को सही शिक्षा देने की जरूरत है। अयोध्या के मंहत राजकुमार दास ने कहा कि आजमगढ़ की धरती ऋषि मुनियों की धरती है। यहां के लोगों ने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है। इस अवसर पर प्रोफ़ेसर निर्मला एस मौर्य गौरव अग्रवाल, दिनेश, गोविंद प्रसाद, पंकज त्रिपाठी, अमरीश, सुशील, डॉ पीयूष सिंह, आलोक जायसवाल, शंकर साव, डा. अनूप सिंह यादव, अरविंद जायसवाल समेत अन्य गणमान्य लोग शामिल रहे।

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