आज़मगढ़।
रिपोर्ट: वीर सिंह
बांग्लादेश घुसपैठियों से मुठभेड़ में हुए शहीद विवेक तिवारी
नम आँखों से दी सभी ने अंतिम विदाई।
आज़मगढ़: आज़मगढ़ के लाल वीर शहीद विवेक तिवारी ने देश के लिए अपनी शहादत देकर एक बार फिर आज़मगढ़ का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया, क्या आम क्या खास जैसे ही BSF जवान विवेक तिवारी का शव उसके पैतृक आवास पहुंचा तो मानों कोहराम मच गया।
अंतिम झलक पाने को होड़ लग गई। परिजनों का रो रो कर बुरा हाल था। चित्कार करते पिता को लोग संभाले थे तो पत्नी समेत घर की महिलाओं को भी संभाला जा रहा था। वहीं युवाओं की भीड़ भारत माता की जय का नारा लगा रही थी। इस सैलाब के बीच बीएसएफ वाहन से पार्थिव शरीर के ताबूत को मशक्कत के साथ जब जवानों ने जैसे भूमि पर रखा तो छोटा भाई अपने को नहीं रोक सका और ताबूत पर ही सिर रख रोने लगा। सैनिकों ने जैसे ही अंतिम सलामी दी सभी आखें मानों गर्व से नम हो गई। छतों से लेकर आसपास के सभी स्थानों तिल रखने की जगह नहीं थी। यह नजारा था आज दिन में आजमगढ़ जनपद के महराजगंज विकासखंड क्षेत्र व बिलरियागंज थाना अंतर्गत के महुवी शेरपुर गांव का। यहां के निवासी बीएसएफ जवान के शहीद होने की सूचना मिलते ही पूरा आस पास का क्षेत्र शोक में डूब गया था। 24 वर्षीय बीएसएफ जवान विवेक तिवारी बांग्लादेश बॉर्डर पर तैनात थे। रविवार आधी रात को घुसपैठियों से बीएसएफ की मुठभेड़ में जवान शहीद हुए थे। विवेक तिवारी पुत्र हरि नारायण तिवारी दो वर्ष पूर्व ही सीमा सुरक्षा बल में नियुक्त हुए थे और बड़ी वीरता पूर्वक अपने ड्यूटी का कार्य निर्वहन कर रहे थे। पहली तैनाती जम्मू कश्मीर में ही थी। वर्तमान में इनकी तैनाती पश्चिम बंगाल प्रांत के बांग्लादेश बॉर्डर पर थी। रविवार की देर रात बॉर्डर पर सर्च ऑपरेशन के दौरान तस्करों से हुई मुठभेड़ के दौरान गोली लगने वे शहीद हो गये थे। यह सूचना जब हेड क्वार्टर से कल सोमवार को उनके पैतृक आवास शेरपुर गांव पहुंची थी तभी से पूरा क्षेत्र शोक में डूब गया था। शहीद जवान की अभी लगभग तीन वर्ष पूर्व शादी हुई थी और उनके पास एक डेढ़ वर्ष की छोटी बच्ची है। छोटा भाई भी पढ़ाई कर रहा है। शहीद जवान के पिता घर पर ही रहकर कृषि का कार्य करते हैं।
अंतिम झलक पाने को होड़ लग गई। परिजनों का रो रो कर बुरा हाल था। चित्कार करते पिता को लोग संभाले थे तो पत्नी समेत घर की महिलाओं को भी संभाला जा रहा था। वहीं युवाओं की भीड़ भारत माता की जय का नारा लगा रही थी। इस सैलाब के बीच बीएसएफ वाहन से पार्थिव शरीर के ताबूत को मशक्कत के साथ जब जवानों ने जैसे भूमि पर रखा तो छोटा भाई अपने को नहीं रोक सका और ताबूत पर ही सिर रख रोने लगा। सैनिकों ने जैसे ही अंतिम सलामी दी सभी आखें मानों गर्व से नम हो गई। छतों से लेकर आसपास के सभी स्थानों तिल रखने की जगह नहीं थी। यह नजारा था आज दिन में आजमगढ़ जनपद के महराजगंज विकासखंड क्षेत्र व बिलरियागंज थाना अंतर्गत के महुवी शेरपुर गांव का। यहां के निवासी बीएसएफ जवान के शहीद होने की सूचना मिलते ही पूरा आस पास का क्षेत्र शोक में डूब गया था। 24 वर्षीय बीएसएफ जवान विवेक तिवारी बांग्लादेश बॉर्डर पर तैनात थे। रविवार आधी रात को घुसपैठियों से बीएसएफ की मुठभेड़ में जवान शहीद हुए थे। विवेक तिवारी पुत्र हरि नारायण तिवारी दो वर्ष पूर्व ही सीमा सुरक्षा बल में नियुक्त हुए थे और बड़ी वीरता पूर्वक अपने ड्यूटी का कार्य निर्वहन कर रहे थे। पहली तैनाती जम्मू कश्मीर में ही थी। वर्तमान में इनकी तैनाती पश्चिम बंगाल प्रांत के बांग्लादेश बॉर्डर पर थी। रविवार की देर रात बॉर्डर पर सर्च ऑपरेशन के दौरान तस्करों से हुई मुठभेड़ के दौरान गोली लगने वे शहीद हो गये थे। यह सूचना जब हेड क्वार्टर से कल सोमवार को उनके पैतृक आवास शेरपुर गांव पहुंची थी तभी से पूरा क्षेत्र शोक में डूब गया था। शहीद जवान की अभी लगभग तीन वर्ष पूर्व शादी हुई थी और उनके पास एक डेढ़ वर्ष की छोटी बच्ची है। छोटा भाई भी पढ़ाई कर रहा है। शहीद जवान के पिता घर पर ही रहकर कृषि का कार्य करते हैं।