आज़मगढ़।
रिपोर्ट: वीर सिंह
आजमगढ़: जिले के सगड़ी तहसील के नत्थूपुर गांव के रमेश यादव 1999 में कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे। माता पिता के इकलौते पुत्र रमेश यादव की शहादत के बाद परिवार बिखर गया। हालांकि आज भी शहीद का परिवार प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है। दशकों से अजमतगढ़ निवासी इफ्तेखार आज़मी शहीद की बहनों का भाई बनकर फर्ज निभा रहे हैं। वर्षो पूर्व किए गए वादे का निर्वहन आज भी जिम्मेदारी के साथ कर रहे हैं।
शहीद के माता पिता भी अब इस दुनिया में नहीं रहे पर शहीद की बहनों को अपनी बहन मानकर वह प्रतिवर्ष मकर संक्रांति पर खिचड़ी लेकर जाते हैं। हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार कपड़ा लाई, चूड़ा आदि लेकर जाते हैं। इसके अलावा हर साल रक्षाबंधन पर राखी भी बंधवाने जाते हैं तथा हर दुख सुख में मदद के लिए तैयार रहते है। बहने भी इफ्तेखार और उनकी पत्नी को भाई और भाभी की तरह ही सम्मान देती है और अपना परिवार मानती है। मजहब की दीवार को तोड़ इफ्तेखार ने जो गंगा जमुनी तहजीब पेश की है वह समाज के लिए मिसाल है। हर कोई इस नेक दिल इंसान को दिल से सलाम करता है।