आज़मगढ़।
रिपोर्ट: वीर सिंह
आज़मगढ़: 1996 में स्थापित दिव्यांग अधिकारों के लिए प्रतिष्ठित संस्था नेशनल सेंटर फॉर एम्प्लॉयमेंट फॉर डिसेबल्ड पीपल द्वारा लोक सभा आम चुनाव 2024 के दौरान कराई गई प्रतियोगिता 'यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता: दिव्यांगजन को सशक्त कैसे बनाता?' का परिणाम घोषित किया गया। इस प्रतियोगिता में भारत के 22 राज्यों से 500 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था।
प्रथम स्थान आज़मगढ़ जनपद, तहसील सगड़ी के खालिसपुर गांव निवासी स्वर्गीय हाफ़िज़ रेयाज़ अहमद के पौत्र मोहम्मद सारिम पुत्र फैयाज़ अहमद ने अर्जित किया। द्वितीय और तृतीय स्थान क्रमशः दिल्ली और कोलकाता के प्रतिभागियों ने प्राप्त किया। स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या 14 अगस्त 2024 को नई दिल्ली स्थित पांच सितारा होटल 'द ललित' में आयोजित सम्मान समारोह में ट्रॉफी, सर्टिफिकेट और 25 हज़ार की इनाम राशि प्रदान की गई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय, भारत सरकार के सचिव, राजेश अग्रवाल और विशिष्ट अतिथि भारतीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड के अध्यक्ष, सुभ्रांशु शेखर आचार्य रहें। जिन्होंने दिव्यांग अधिकारों और उनके सर्वआयामी सशक्तिकरण पर जोर दिया। एनसीपीईडीपी के कार्यकारी निदेशक अरमान अली ने सभी प्रतिभागियों के प्रयास को सराहा।
कार्यक्रम में सारिम ने अपने संबोधन में मुख्य रूप से संविधान के अनुच्छेद 15 में संशोधन कर, उसमें 'दिव्यांगता' शब्द को जोड़ने की मांग उठाई। इसी के साथ ही भाग 9 एवं 9 (अ) में संशोधन कर पंचायत तथा शहरी निकायों और अनुच्छेद 330 में संशोधन कर राज्य विधान सभाओं और लोक सभा में दिव्यांगजन को पांच प्रतिशत आरक्षण प्रदान कर उनके राजनैतिक सशक्तिकरण की पुरजोर वकालत की।
बता दें कि सारिम जुलाई 2016 में एक सड़क हादसे का शिकार हो गए थे जिसके कारण उनकी रीढ़ की हड्डी में चोट आई और कमर के नीचे का अंग निष्क्रिय हो गया। परिस्थितियों का दृढ़ता से सामना करते हुए और दिव्यांगता को मज़बूरी की बजाय मजबूती बनाते हुए उन्होंने शिब्ली नेशनल कॉलेज, आजमगढ़ से ही बी.ए. और बी.एड. की शिक्षा प्राप्त की। इससे पूर्व भी वर्ष 2019 में हिंदी काव्य रचना के क्षेत्र में जिलाधिकारी आज़मगढ़ द्वारा उन्हें 'नवांकुर साहित्यकार सम्मान' से नवाज़ा जा चुका है।
इस उपलब्धि से परिवार समेत सभी ग्रामवासी गौरव की अनुभूति कर रहे हैं।