19 जुलाई को फिर भर आएंगी आंखें — जब सगड़ी अपने शेर को याद करेगी…"सीपू सिंह पुण्यतिथि"


आज़मगढ़।

रिपोर्ट: वीर सिंह

सगड़ी के शेर सर्वेश सिंह ‘सीपू’ की 12वीं पुण्यतिथि, यादों में बसी एक अनमोल विरासत।

आज़मगढ़: 15 जुलाई 2025: आजमगढ़ की धरती पर एक ऐसा नाम गूंजता है, जो कभी सगड़ी की सियासत का पर्याय था—पूर्व विधायक स्वर्गीय सर्वेश सिंह ‘सीपू’। उनकी 12वीं पुण्यतिथि 19 जुलाई 2025 को जीयनपुर स्थित उनके निजी आवास पर श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई जाएगी। यह दिन न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे पूर्वांचल के लिए एक भावुक पल होगा, जब हजारों लोग उनके बलिदान और योगदान को याद करेंगे। सगड़ी की जनता के दिलों में सीपू का नाम आज भी अमर है, और उनकी पुण्यतिथि पर उमड़ने वाली भीड़ इसका जीवंत प्रमाण है।

सुंदरकांड से शुरू होगा श्रद्धांजलि समारोह

इस वर्ष भी सीपू सिंह की स्मृति में आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम दोपहर 3 बजे सुंदरकांड पाठ के साथ शुरू होगा। शाम 6 बजे से प्रीतिभोज (प्रसाद ग्रहण) का आयोजन होगा। उनके परिवार—पत्नी पूर्व विधायक वंदना सिंह, बड़े भाई संतोष सिंह ‘टीपू’ और अन्य परिजन—इस अवसर पर मौजूद रहेंगे। आयोजन की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं, और क्षेत्रवासियों से अपील की गई है कि वे इस भावपूर्ण समारोह में शामिल होकर इसे सफल बनाएं।
कौन थे सर्वेश सिंह ‘सीपू’?

सर्वेश सिंह ‘सीपू’ का नाम सगड़ी की सियासत में एक मील का पत्थर है। आजमगढ़ के अमुवारी नरायनपुर गांव में जन्मे सीपू को राजनीति पिता स्वर्गीय राम प्यारे सिंह से विरासत में मिली। राम प्यारे सिंह, जो समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता और मुलायम सिंह यादव के करीबी थे, ने सगड़ी को अपनी कर्मभूमि बनाया। 1996 में सपा के टिकट पर सगड़ी से विधायक चुने गए राम प्यारे सिंह ने क्षेत्र में अपनी गहरी छाप छोड़ी। 2003 में मुलायम सिंह सरकार में पर्यावरण मंत्री बनने के बाद भी उनकी लोकप्रियता बरकरार रही। लेकिन कैंसर ने उन्हें असमय छीन लिया, और 31 मई 2005 को उनका निधन हो गया।

पिता की इस विरासत को छोटे बेटे सर्वेश सिंह ‘सीपू’ ने बखूबी संभाला। 2007 में सपा के टिकट पर सगड़ी से विधानसभा चुनाव जीतकर सीपू ने साबित किया कि वे न केवल पिता के उत्तराधिकारी हैं, बल्कि जनता के दिलों में अपनी अलग पहचान बनाने की कूवत रखते हैं। उनका सरल स्वभाव, जनता से गहरा जुड़ाव और निस्वार्थ सेवा भाव उन्हें सगड़ी का ‘शेर’ बनाता था। कहा जाता था कि अगर कोई सपा के बाहुबली दुर्गा प्रसाद यादव को टक्कर दे सकता था, तो वह सिर्फ सीपू ही थे।

एक दर्दनाक हादसा, जिसने हिलाया पूर्वांचल

लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था। 19 जुलाई 2013 का वह काला दिन आज भी सगड़ी की जनता के जेहन में ताजा है, जब सर्वेश सिंह ‘सीपू’ की निर्मम हत्या कर दी गई। गोलीकांड में उनके करीबी भरत राय सहित तीन अन्य लोग भी मारे गए। इस घटना ने न केवल आजमगढ़, बल्कि पूरे पूर्वांचल को हिलाकर रख दिया। सीपू की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी हत्या के बाद हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। गुस्साई भीड़ ने कोतवाली तक पर हमला बोल दिया, तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं हुईं। जनता का आक्रोश और दर्द इस बात का सबूत था कि सीपू उनके लिए सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि परिवार का हिस्सा थे।

इस हत्याकांड में माफिया ध्रुव कुमार सिंह ‘कुंटू’ और उसके साथियों को आरोपी बनाया गया। जनता के दबाव और बिगड़ती कानून-व्यवस्था के बीच राज्य सरकार ने मामले की सीबीआई जांच कराई। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद कुंटू और उसके साथियों को सजा सुनाई गई, और आज वे जेल की सलाखों के पीछे हैं।

सीपू की सियासी यात्रा: पिता की विरासत, अपनी पहचान

सीपू की सियासत सिर्फ सत्ता की चाह नहीं थी, बल्कि जनता की सेवा का जज्बा थी। पिता राम प्यारे सिंह के करीबी और मुलायम सिंह के विश्वस्त अमर सिंह के साथ उनकी गहरी मित्रता थी। जब अमर सिंह ने 2010 में सपा छोड़कर लोकमंच बनाया, तो सीपू ने भी उनका साथ दिया। बाद में अमर सिंह ने उन्हें बसपा में शामिल कराया, जहां उन्होंने और उनके बड़े भाई संतोष सिंह ‘टीपू’ ने 2012 का विधानसभा चुनाव लड़ा। हालांकि, सपा की लहर में दोनों भाई हार गए, लेकिन सीपू ने दुर्गा प्रसाद यादव को कड़ी टक्कर दी। हार के बावजूद सीपू ने हिम्मत नहीं हारी और जनता के बीच अपनी सक्रियता बनाए रखी।

आज भी जिंदा है सीपू की विरासत

सर्वेश सिंह ‘सीपू’ भले ही आज हमारे बीच न हों, लेकिन उनकी विरासत आज भी जिंदा है। उनकी पत्नी पूर्व विधायक वंदना सिंह और बड़े भाई संतोष सिंह ‘टीपू’ भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़कर जनसेवा के उनके मिशन को आगे बढ़ा रहे हैं। सगड़ी की जनता आज भी सीपू को उनके साहस, सादगी और समर्पण के लिए याद करती है। उनकी पुण्यतिथि न केवल एक श्रद्धांजलि समारोह है, बल्कि उस शख्सियत को सलाम करने का अवसर है, जिसने सगड़ी की सियासत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

19 जुलाई को जीयनपुर में होने वाले इस आयोजन में शामिल होकर, आइए हम सब मिलकर इस महान नेता को श्रद्धांजलि अर्पित करें और उनकी यादों को एक बार फिर ताजा करें। सीपू सिंह—एक नाम, जो सगड़ी के दिलों में हमेशा धड़कता रहेगा।

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