104 एनकाउंटर… बिकरू के हीरो अब आज़मगढ़ के एसपी!


आज़मगढ़।

रिपोर्ट: वीर सिंह

माफ़ियाओं के 225 मुकदमों का रिकॉर्ड… अब आज़मगढ़ में दबंग पुलिसिंग की तैयारी

आज़मगढ़। आठ साल की सर्विस और 104 एनकाउंटर... यूपी पुलिस के दबंग आईपीएस डॉ. अनिल कुमार अब आज़मगढ़ की कमान संभालने जा रहे हैं। बिकरू कांड में आठ पुलिसकर्मियों की शहादत के बाद महज़ चार घंटे में दुर्दांत अपराधियों को ढेर करने वाले अनिल कुमार को अपराधियों के लिए खौफ और जनता के लिए उम्मीद की नई पहचान माना जाता है।
डॉक्टर से आईपीएस बनने तक का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। राजस्थान के झुंझुनूं ज़िले के अलसीसर गांव में 6 दिसंबर 1981 को जन्मे अनिल कुमार ने सरकारी स्कूल से पढ़ाई की और 10वीं-12वीं दोनों में बोर्ड मेरिट लिस्ट में जगह बनाई। साल 2005 में जोधपुर के सम्पूर्णानंद मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया और दिल्ली के जीटीबी व हिंदूराव अस्पताल में जूनियर डॉक्टर बने। लेकिन खाकी का जुनून ऐसा था कि डॉक्टर की कुर्सी छोड़ यूपीएससी की तैयारी में जुट गए।

पहली बार में इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस मिली, लेकिन लक्ष्य था आईपीएस। लगातार पांच प्रयासों के बाद 2016 में यूपी कैडर में आईपीएस बने। नोएडा में पहली पोस्टिंग के दौरान 625 किलो चांदी लूटकांड सुलझाया। वाराणसी में प्रवासी भारतीय दिवस के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा की कमान संभाली और डबल मर्डर केस की गुत्थी सुलझाकर सुर्खियों में आए।

कानपुर देहात के बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने 2 जुलाई 2020 की रात आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। इस कांड के कई आरोपियों का एनकाउंटर कर अनिल कुमार ने अपराध जगत में दहशत फैला दी। भदोही में रुचि हत्याकांड की गुत्थी खोली, चंदौली में माफियाओं पर 225 मुकदमे दर्ज कराकर सबसे बड़ी कार्रवाई की।

उनकी सख्त और दबंग पुलिसिंग के लिए डीजीपी के गोल्ड और सिल्वर मेडल से नवाज़ा गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी बच्ची की हत्या का राजफाश करने पर सम्मानित किया।

पत्नी दीपशिखा के साथ पारिवारिक जीवन जीने वाले अनिल कुमार का नाम आज यूपी पुलिस में एक्शन के पर्याय के तौर पर लिया जाता है। अब देखना होगा कि अपराध की लंबी परंपरा वाले आज़मगढ़ में दबंग एसपी डॉ. अनिल कुमार कितनी तेजी से अपराधियों की चूलें हिलाते हैं।

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