मऊ।
१६मार्च २०१७ से शुरु हो रहा यू पी बोर्ड का फाइनल मैच ।
वह भी एसा मैच जिसमें खेलने वाले कम,किन्तु निर्णायक ही दिखते परेशान ।
आप को बताते चालें कि अब तक हम सभी राजनीति व राजनेताओं के बारे मे प्रतिदिन एक ना एक नया मोड देखने और जानने का कार्य किये तथा साथ-साथ त्यौहार का भी आनंद लिए ।किन्तु इस समय विद्यालयों पर भीड़ देखने को मील रही है जिसका कारण यह है कि कुछ बच्चे प्रवेश पत्र लेने के लिए दिखाई पडते है तो वहीं कुछ छात्र छात्रा अपने अपने परिजनो को लेकर जहाँ केन्द्र बनाया गया है वहाँ के शिक्षकगण सेअपना परिचय करवाने के वास्ते विद्यालय का चक्कर लगाते हुए देखने को मील रहे हैं क्योंकि कल दिनांक 16-3-017से ही यू पी वोर्ड के १२वीं व १०वीं का फाइनल मैच सुरु हो रहा है जिसमे कहीं यह भी देखा जा सकता है कि खेलने वालों से अधिक खेलाने वाले निर्णायक ही परेशान नजर आते है जिसका कारण यह होता है कि इसमैच मे एक विशेष प्रकार की सुविधा देना अनिवार्य होता है ।इस लिए बहुत कम आउट होते कोई दो रन कोई चौका तो कोई छक्का भी मारने मे सफल हो जाता है किन्तु विशेष शूल्क देने के बाद प्लेयर समझ जाते हैं कि अब तो जो आउट देखने वाला है वह खुद कभी-कभी बल्ला पकड कर ही खेलना सिखाने लगता है ।चुकि छात्रोँ को दूसरे खेलकूद के निर्णायक होते हैं तो उनको वहाँ पर विशेष शूल्क(सुविधा )देना पडता है किन्तु बाललिकाओं को तो प्रवेश के पहले ही अपने विद्यालय पर उपरोक्त शूल्क जमा करा लिया जा रहा हैं।किन्तु यह भी चर्चा है कि इस बार के शासनकाल मे बदलाव आने पर सुविधा के बाद भी दुविधा की संभावना हो जा सकती है।वैसे पुरे तैयारी के साथ-साथ होने के बावजुद मऊ के डीएम महोदय तो चुनाव मे ही स्पष्ट कर दिए कि गलत करने वाले को किसी को भी छोडा नही जा सकता है किन्तु शासन प्रशासन के लिए यह भी एक बड़ा मसला है।परीक्षा शकुसल संपन्न करा लेना भी आसान दिखाई नही दे रहा है?
रिपोर्टर- ए०के०(ह्यूमन)
ब्यूरो मऊ।
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