‘महके मन के मोती’ काव्य संग्रह का लोकार्पण — हिंदी साहित्य को मिला नया आयाम


आज़मगढ़।

रिपोर्ट: वीर सिंह

आजमगढ़, संवाददाता। निधि शैक्षिक एवं शोध संस्थान, आजमगढ़ के तत्वावधान में भदुली बाजार स्थित श्री मां दुर्गा मैरिज हॉल के सभागार में रविवार को कवि श्री चनरेज राम अंबुज की काव्य पुस्तक ‘महके मन के मोती’ का भव्य लोकार्पण समारोह आयोजित हुआ।


कार्यक्रम की अध्यक्षता डीएवी पीजी कॉलेज आजमगढ़ के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग की प्रो. गीता सिंह ने की। उन्होंने कहा कि “श्री चनरेज राम अंबुज की यह काव्य पुस्तक हिंदी साहित्य के लिए मोती समान है। इसमें संकलित 87 कविताएं न केवल हृदय को स्पर्श करती हैं, बल्कि साहित्य को भी समृद्ध करती हैं।”


मुख्य वक्ता डॉ. राम अवध सिंह यादव, पूर्व प्राचार्य गांधी पीजी कॉलेज माल्टारी, ने कहा कि कवि अंबुज समाज की विसंगतियों पर पैनी नजर रखते हुए गंभीर लेखन कर रहे हैं। विशिष्ट वक्ता प्रो. अखिलेश चंद्र ने कहा कि इनकी कविताएं सामाजिक रूढ़ियों, जाति-पात और छुआछूत जैसी बुराइयों पर प्रभावी प्रहार करती हैं।

मुख्य अतिथि घनश्याम सिंह पटेल ने कहा कि “कविता नदियों की तरह निरंतर प्रवाहित होती है, और अंबुज की कविताएं हिंदी साहित्य को नई दिशा देती प्रतीत होती हैं।”

पूर्व प्रवक्ता जितेंद्र नाथ सिंह ने गर्व व्यक्त करते हुए कहा, “जब चनरेज राम अंबुज मेरे विद्यार्थी थे, तभी उनमें साहित्यिक प्रतिभा की झलक दिखती थी।”
डीएवी पीजी कॉलेज के सहायक प्रोफेसर अवनीश राय ने कहा कि कवि की रचनाएं समाज से सीधा संवाद करती हैं, जबकि डॉ. निधि सिंह, अतिथि प्रवक्ता, हिंदी विभाग, महाराजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय, आजमगढ़, ने कहा कि “अंबुज की कविता ‘झांसी की झलकारी’ सुभद्रा कुमारी चौहान की रचना की याद दिलाती है।”

इस अवसर पर ‘महके मन के मोती’ का लोकार्पण मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया। कवि श्री चनरेज राम अंबुज को संस्था की ओर से ‘साहित्य रत्न सम्मान 2025’, तथा डॉ. प्रेम प्रकाश यादव, पूर्व प्राचार्य डीएवी पीजी कॉलेज, को ‘उत्कृष्ट शिक्षा सेवी सम्मान 2025’ से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुई। सरस्वती वंदना, स्वागत गीत और पुस्तक की एक कविता रोशनी गौड़ ने प्रस्तुत की। अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्र से किया गया। स्वागत भाषण प्रो. अखिलेश चंद्र ने दिया।


दूसरे सत्र में आयोजित कवि सम्मेलन में महेंद्र मधुकर (उन्नाव), अमन सुल्तानपुरी, महताब नार्वी (कौशांबी), डॉ. सुरेश अकेला (चंदौली), कृष्णदेव घायल (मऊ), अभिराज बेदर्दी, शिवकुमार प्रियदर्शी, घनश्याम मौर्य भ्रमर (गोंडा), शैलेंद्र मोहन राय अटपट, बैजनाथ गंवार, राजनाथ राज, सत्यम प्रजापति, राजेश अनंत, अंबरीष श्रीवास्तव, मलका परवीन, घनश्याम यादव, कौशल राय, जय हिंद सिंह हिंद, प्रो. अखिलेश चंद्र और प्रो. गीता सिंह ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं।

कार्यक्रम का संचालन जय हिंद सिंह हिंद ने किया, जबकि आभार ज्ञापन संस्था अध्यक्ष प्रो. कृष्णा सिंह ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे। अंत में राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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