फसलो में बिना समझे न करे कीट नाशको का प्रयोग--बृजेश मिश्र

आज़मगढ़।

जीयनपुर।

नरहन सामुदायिक केंद्र पर हुई दो दिवसीय किसान गोष्ठी एवं प्रशिक्षण।

भारत सरकार कृषि मंत्रालय एवं किसानों द्वारा की गई गोष्टि।

जियनपुर। ब्लाक अजमतगढ़ क्षेत्र के सामुदायिक केंद्र नरहन खास पर भारत सरकार कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र गोरखपुर द्वारा दो दिवसीय गोष्टि एव ओरिएंटेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम 16 एवं 17 सितंबर को आयोजित किया गया। जिसमें किसानों को विभिन्न जानकारियां एव बीज प्रबंधन और फसलों के बचाव, रख रखाव एवं कीटनाशकों के प्रयोग पर विस्तृत चर्चा की गई एवं फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले जानवरों एवं जंतुओं के बारे में मित्र और दुश्मन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। साथ ही साथ किसानों को वर्मी कंपोस्ट एवं कंपोस्ट जैविक खादों के प्रयोग और रासायनिक खादों से बचने के सुझाव दिए गए। केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन ओरिएंटेशन प्रशिक्षण के दौरान गोरखपुर से आए सहायक निदेशक डॉक्टर बृजेश मिश्रा ने किसानों को जानकारी देते हुए कहा कि गोमूत्र,नीम बीज एव पत्ती आदि द्वारा देसी तरह से तैयार की गई कीटनाशकों का ही प्रयोग फसलों पर किया जाए। जिससे जीव जंतु और स्वयं किसान लंबी उम्र जीवन जी सके और पर्यावरण में सहायक हो। उन्होंने बताया कि आई पीएम के चार घटक व्यवहारिक प्रबंधन,आंतरिक प्रबंधन ,जैविक प्रदान प्रबंधन के साथ साथ रासायनिक प्रबंधन पर बारी बारी से चर्चा की गई तथा फसलों पर कीटनाशकों का अधिक से अधिक प्रयोग ना करने के सुझाव दिए और बताया कि यदि जरूरी हो तो देसी पद्धति से तैयार किए हुए कीटनाशक का ही प्रयोग करें ।इस दौरान कृषकों को क्षेत्र भ्रमण कराकर कृषि परिस्थिति यंत्र के बारे में जानकारी दी गई तथा मित्र किट एव शत्रु कीट की पहचान कराई गई ।बीज एवं शोधन ग्रामीण स्तर पर ट्राइकोडरमा बनाने की विधि बताई गई वही  रत्नेश मिश्रा ने चूहों से फसलों को बचाने के लिए अपने सुझाव दिए और कहा कि पहले चूहों को प्रलोभन दे जिसके लिए 25 ग्राम चावल की खुद्दी,25 ग्राम बेशन ,एक चम्मच चीनी ,कडुवा तेल मिला कर लेप बना ले और चूहों के जीवंत बिलो पर रखे और यह क्रम चार से पांच दिन करे उसके उपरांत जीवंत बिलो के अनुसार चावल की खुद्दी,बेशन ,चीनी,तेल,और जिंक फास्फाइड मिला कर पुड़िया बना ले और चूहों के बिलो पर रखे लाभ होगा।आदि की जानकारी गोरखपुर से आये वैज्ञानिकों ने दी। इस दौरान सहायक निदेशक बृजेश मिश्र, वनस्पति संरक्षक अधिकारी पी०बालावूरु, रत्नेश मिश्र, सी बी पाटिल, के सिद्धिकी, आर के मिश्रा, अभिषेक सिंह आदि वैज्ञानिकों ने जानकारी दी। इस दौरान दुर्गविज राम,ओमप्रकाश गोंड़, बिक्रम, अजय, जयहिन्द आदि किसान रहे।

रिपोर्ट- तेजप्रताप श्रीवास्तव

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