मऊ।
दीवानी कचहरी के सामने स्थित बुनकर कॉलोनी में रह रही महिला की धारदार हथियार से हत्या कर देने के मामले में मंगलवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट नंबर एक के न्यायाधीश आदिल आफताब अहमद की अदालत में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने हत्या के आरोपी दोष सिद्ध अधिवक्ता असलम अली उर्फ नन्हें के सजा के विंदु पर सुनकर,आजीवन कारावास व 50000 रु जुर्माने की सजा सुनाई। वहीं सजा सुनाए जाने को लेकर पूरा दिन चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। बताते चलें कि कोतवाली नगर के मुंशी पुरा निवासी वादी मुकदमा निजामुद्दीन की पत्नी आलमा खातून की हत्या 17 जुलाई 2011 को शब-ए-बारात की रात्रि में आरोपी द्वारा घर में घुसकर धारदार हथियार से मारकर हत्या कर दी गई। हत्या का कारण जमीनी विवाद बताया गया।
वादी मुकदमा की तहरीर पर थाना सरायलखनसी में मुकदमा दर्ज कराया गया। कोतवाली नगर क्षेत्र के मुंशीपुरा निवासी अधिवक्ता असलम अली उर्फ नन्हेंं को आरोपित बनाया गया। बाद में विवेचना आरोपपत्र न्यायालय प्रेषित किया गया। बचाव पक्ष के द्वारा कहा गया कि आरोपित को झूठा मुकदमा में फंसाया गया है। जबकि अभियोजन पक्ष के अपर जिला शासकीय अधिवक्ता श्री प्रकाश यादव द्वारा 8 गवाह पेश कर घटना के कथानक को सिद्ध कराया गया। तथा कहा कि आरोपी विधि व्यवसाई है समस्त ज्ञान व नैतिक मूल्यों की उपेक्षा करते हुए दोषी द्वारा हत्या जैसा गंभीर अपराध किया गया है। दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य एवं केस डायरी के अवलोकन के बाद न्यायाधीश ने आरोपित अधिवक्ता को हत्या का दोषी पाते हुए। आजीवन कारावास व 50000रु अर्थदंड की सजा सुनाई तथा अर्थदंड की धनराशि में से 80% धनराशी मृतका के पति निजामुद्दीन को बतौर क्षति पूर्ति दी जाय।
रिपोर्ट- विपिन दुबे
ब्यूरो मऊ।
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