आज़मगढ़।
रिपोर्ट: वीर सिंह
सात विभागों के 170 से ज्यादा कर्मचारी लगे रहे रात-दिन संक्रमण फैलने से रोकने की व्यवस्था में।
अस्पताल में भर्ती कराना, होम आइसोलेशन की व्यवस्था, दवा आदि सभी इनकी जिम्मेदारी।
आजमगढ़ 26 दिसम्बर-- 2020 के अलविदा होने में अब कुछ ही दिन शेष हैं लेकिन इस वर्ष के दौरान जनपद के मानवता के इतिहास में कुछ ऐसे कार्य हुए जो आने वाले वर्षों में इतिहास के तौर पर याद किए जाएंगे। जिला अधिकारी राजेश कुमार ने कहा की कोरोना की महामारी ने जहां पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया, वहीं उसके संक्रमण से मानवता को बचाने की कोशिशें भी मिसाल बनीं। जनपद के राजकीय महिला इंटर कालेज (जीजीआईसी) में बने कोविड कंट्रोल रूम के कर्मचारियों ने कोरोना का संक्रमण फैलने से रोकने में जबरदस्त भूमिका निभाई। साथ ही फ्रेंटलाइन वर्कर के लगातार 8-9 महीने के कड़ी मेहनत का परिणाम है जनपद सुरक्षित हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ ए के मिश्रा बताते हैं कि कोविड का प्रसार रोकने और मरीज को स्वास्थ सुविधा देने में सात विभागों के 170 के करीब कर्मचारियों के दिन-रात की मेहनत का नतीजा आज जनपदवासी इससे कुछ राहत महसूस कर रहे हैं। कोरोना के पीक सीजन अगस्त-सितंबर में जब हम और आप सोते थे तब ये कर्मचारी हमारे-आप जैसे किसी सामान्य परिवार से कोविड पाजिटिव हुए मरीज का या तो हालचाल लेने, उसकी व्यवस्था में कमी जानने या मरीजों और उनके परिवारों को जरूरी व्यवस्था कराने में लगे रहते थे।
कंट्रोल रूम बनने के बाद से 24 दिसम्बर तक 5949 कोविड पाजिटिव मरीजों की इस कंट्रोल रूम ने व्यवस्था की। 24 दिसम्बर को कंट्रोल रूम की देखरेख में 152 सक्रिय मरीज थे। 1218 मरीज हास्पिटल से डिस्चार्ज हो चुके थे। 4485 मरीज होम आइसोलेशन से बाहर आ चुके थे जबकि 37 मरीज होम आइसोलेशन में चल रहे थे। लगभग 1937 कैंटेनमेंट जोन घोषित कर कोविड के प्रसार पर रोक लगाने की कोशिश की। इसका नतीजा है कि जहां अगस्त तक हर दिन औसतन सौ के लगभग मरीज मिल जाते थे दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में यह संख्या घटकर यह संख्या औसतन 8 से 12 के बीच हो गई है। 24 दिसम्बर को 11 रोगी मिले।
कोविड कंट्रोल रूम के नोडल और मुख्य विकास अधिकारी आनंद कुमार शुक्ला ने बताया की कोविड पाजिटिव मरीज की जानकारी मिलते ही सबसे पहले कोविड कंट्रोल रूम में कार्यरत स्वास्थ्य विभाग की इकाई उससे बात कर उसे जरूरी दिशा-निर्देश देती है। साथ ही कांटैक्ट ट्रेसिंग टीम को मरीज के सम्पर्कियों का पता लगाने और सैम्पलिंग कराने के लिए सूचना दी जाती है। कोविड पाजिटिव मरीज की सूचना प्रवर्तन विभाग के साथ ही ग्रामीण एवं शहरी निगरानी समिति को भी दी जाती है जिससे कि कैंटेनमेंट जोन का निर्धारण हो सके और उस क्षेत्र में सख्ती के साथ कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराया जा सके। इसी के साथ त्वरित कार्रवाई बल (आरआरटी टीम) को भी सूचना दी जाती है। यह टीम ही मरीज की भौतिक स्थिति का सत्यापन कर कंट्रोल रूम को यह सुनिश्चित कराती है कि मरीज होम आइसोलेशन में रहने लायक है या उसे कोविड हास्पिटल में भेजना जरूरी है। यदि मरीज होम आइसोलेशन में रखा जाता है तो आरआरटी टीम तत्काल उसे दवा की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के साथ जरूरी दिशा-निर्देश देती है। साथ ही होम आइसोलेशन के मरीज को पोर्टल पर अपडेट करने के साथ होम आइसोलेशन प्रकोष्ठ को सूचित करती है जिससे कि आरआरटी टीम होम आइसोलेशन मरीज की नियमित देखभाल कर सके।
यदि आरआरटी टीम यह सुनिश्चित करती है कि मरीज होम आइसोलेशन में रहने लायक नहीं है तो कंट्रोल रूम एम्बुलेंस उपलब्ध कराकर उसे संबंधित कोविड हास्पिटल में भेजवाकर इलाज सुनिश्चित कराती है। वहीं होम आइसोलेशन में रहने वाले तथा कोविड हास्पिटल में भर्ती मरीजों से सम्पर्क कर और उनका फालोअप लेकर जरूरत के अनुसार कार्रवाई करते रहते हैं।
शिकायत एवं निवारण प्रकोष्ठ में मरीज या आम आदमी अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। साथ ही अपनी किसी शंका का समाधान कर सकता है। या कोविड-19 संबंधी किसी भी प्रकार की जानकारी ले सकता है। जिन लोगों का कोविड-19 जांच के लिए सैम्पल लिया जाता है उन्हें जांच का परिणाम न आने तक टेलीफोन द्वारा होम कोरेंटाइन होने की सलाह दी जाती है। साथ ही निगेटिव परिणाम आने पर भी प्रकोष्ठ ही इसकी टेलीफोन पर सूचना देता है। कोविड-19 कंट्रोल रूम का हेल्पलाइन नम्बर-05462356039, 05462356040, 05462356041, 05462356044। टोल फ्री नम्बर-18008896734।