लेख।
लेख: जिले के सगड़ी तहसील क्षेत्र का नगर पंचायत जीयनपुर शुरू से ही चर्चाओं का केंद्र रहा है। नगर पंचायत चुनाव नजदीक आने से चुनावी सरगर्मियां भी बढ़ चुकी हैं । यदि बहुचर्चित नगर पंचायत जीयनपुर के खूबियों की बात करें तो यहाँ कि समस्या अव्वल रही हैं। जैसा कि आपको पता होगा तो जीयनपुर चौक पर लग रहा जाम आसपास के क्षेत्रों के लिए मिसाल बनता जा रहा है। लेकिन इस समस्या का कोई अंत नजर नहीं आता। वही नगर पंचायत के वार्डों की समस्याओं की बात करें तो उसके लिस्ट में अनगिनत अधूरे कार्य पड़े हुए हैं और जो पूरे भी हुए हैं वह केवल नाम मात्र के ही हैं नगर पंचायत जीयनपुर की जनता समस्याओं को अपना रिश्तेदार समझ उनके साथ हंसी-खुशी जीवन व्यतीत करने में सफल होती नजर आ रही है।
नगर पंचायत जीयनपुर को शौच मुक्त करने के लिए जगह-जगह सामुदायिक शौचालय व छोटे- छोटे टॉयलेट बनाये गए हैं जहाँ गंदगी का कहर कुछ इस प्रकार है कि कोई राहगीर या नगरवासी इसे इस्तेमाल नहीं कर सकता क्योंकि यहां शौच तो करना दूर की बात है वहां से गुजरना भी दूभर हो जाता है।
अब तक तो हमने नगर पंचायत जीयनपुर की खूबियों के विषय में आपको बताया लेकिन अब जरा यहां अध्यक्ष पद के चुनाव की बात करें तो प्रत्याशियों की होड़ लगी है। यहां की जनता के लिए यह चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है और होना भी चाहिए लेकिन क्या इस पद की गरिमा पोस्टर बैनर पर दिख रहे हैं चेहरों के मुकाबले ठीक है या नही यह सोचने का विषय है। और मजे की बात तो यह है कि प्रत्याशी भी क्षेत्र के ही हैं और नगर वासियों की समस्याओं से बखूबी परिचित भी और वो अपने नाम के आगे समाजसेवी का चोला पहने हुए हैं। कुछ नगर वासियों की माने तो वह प्रतिदिन समस्याओं से जूझते रहते हैं। लेकिन कोई भी समाजसेवी या भावी प्रत्याशी बिना चुनाव नजदीक आये उनकी खोज खबर नही लेता। किन्तु चुनाव की अवधि नजदीक आते ही अध्यक्ष पद की लालसा लिए कुछ लोग जनता के दुख दर्द को साझा करने का ढोंग करने लगते हैं। यदि आप कभी नगर पंचायत जीयनपुर से गुजरे होंगे और आसपास के क्षेत्रों से ताल्लुक रखते हैं तो यहां की समस्याएं आपसे भी छुपी नहीं होंगी मैं एक बात स्पष्ट रूप से आपके समक्ष रखना चाहूंगा काम छोटा हो या बड़ा हो यदि उसे ठान लिया जाए तो पूरा हो सकता है। यह बात मैं इसलिए कह रहा हूं कि नगर पंचायत जीयनपुर में चुनाव पद के जितने भी प्रत्याशी चल रहे हैं उनमे से ज्यादातर लोगों ने अपने नाम के आगे समाजसेवी शब्द जोड़ रखा है, इस शब्द को देखते हुए कोई भी व्यक्ति यही कहेगा कि वास्तव में कोई समाजसेवी है और यह अच्छा भी है। लेकिन यहां की समस्याओं को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि समाजसेवी का चोला पहने लोगों से यहाँ की समस्या छुपी नहीं है यदि कोई वास्तव में समाज सेवी हैं जो हर गली चौराहों पर 1000 से 10000 तक के पोस्टर बैनर लगा सकता है। लाखों रुपए अपने विज्ञापन पर खर्च कर सकता है, तो मामूली से समस्या के लिए अध्यक्ष पद की अभिलाषा व सरकार से सिर्फ बजट का इंतजार क्यों? मेरा सवाल नगर पंचायत जीयनपुर के हर एक निवासी से हैं क्या हमारे क्षेत्र में कोई ऐसे कार्य नहीं है जो 1000 से 100000 तक की लागत में हो सकता है। तो जवाब मिलेगा हां ऐसे कई कार्य हैं जो इस छोटी सी रकम में पूरे किए जा सकते हैं। यदि वास्तव में यह लोग समाजसेवी हैं तो इसे करने में क्या दिक्कत है पूछना चाहता हूं उन सभी लोगों से क्या समाज सेवा करने के लिए किस पद की आवश्यकता होती है। जब एक समाज सेवक अपने समाज सेवा का प्रदर्शन करने के लिए लाखों रुपए खर्च कर सकता है। तो वास्तविक समाज सेवा करने के लिए क्यों नहीं। यदि आप राजनीति में आते हैं तो आप सभी का स्वागत करता हूं। लेकिन समाज सेवा जैसे शब्द का चोला ओढ़कर जनता को मूर्ख बनाना कतई स्वीकार नहीं है।
नोट : यह लेख किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं है यह नगर पंचायत जीयनपुर की समस्याओं के दृष्टिगत लिखा गया है, जिसका चैनल और लेखक से किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत कोई सरोकार नहीं है।
लेखक -गौरव सिंह राठौर