लेख।
क्या बदल रहा राहुल गांधी का नजरिया या आम जनमानस ने बदला है अपना नजरिया?
लेख: भारत जोड़ो यात्रा अपने आरम्भ से ही देश और दुनिया की सुर्खियां बटोर रही है। इस यात्रा के नेता राहुल गाँधी और इसके सहयात्री सहित सम्पूर्ण यात्रा निश्चित रूप से अन्य राजनीतिक दलो और आम जनमानस को अपनी तरफ आकर्षित करती हुई दिख रही है।
कांग्रेस पार्टी के परम्परागत विरोधी भी इस यात्रा को कौतूहल भरी नजरों से देख रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की माने तो वह जनता से जमीनी जुड़ाव, सहकार, समन्वय, साहचर्य कायम करने, भारतीयता और भाईचारा जीवंत करने तथा देश की बुनियादी समस्याओं को करीब से समझने एवं रूबरू होने के लिए उन्होंने इस यात्रा का प्रारंभ किया था ।
बकौल राहुल गाँधी वह देश में विगत वर्षों में व्याप्त नफरत के माहौल को मिटाकर देश में प्यार मुहब्बत एकता और आपसदारी का वातावरण निर्मित करना चाहते हैं। कांग्रेस विरोधी राजनैतिक दल इसे महज राजनीतिक यात्रा और राहुल गाँधी को स्वयं को देश के नेता के रूप में स्थापित करने का महज प्रयास मान रहे हैं। आपको बता दें कि- हिन्द महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के संगम स्थल कन्याकुमारी से प्रारंभ हुई यह यात्रा केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु ,महाराष्ट्र ,मध्य प्रदेश राजस्थान व हरियाणा से गुजरकर वर्तमान समय में दिल्ली में जारी है तथा उत्तर प्रदेश होते हुए जम्मू-कश्मीर तक जायेगी। हालांकि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने कोविड- प्रोटोकॉल का पालन करते हुए यात्रा चलाने के निर्देश दिए हैं। लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसको महज यह बताकर खारिज किया है कि मोदी सरकार भारत जोड़ो यात्रा से डरी हुई है और देश समस्याओं की सच्चाई से सामना नहीं करना चाहती है। इसलिए कोरोना का बहाना बनाकर भारत जोड़ो यात्रा को रोकने का प्रयास कर रही है । अब तक तो हमने भारत जोड़ो यात्रा के शुरुआती व अब तक की जानकारी दी। आगे की बात करें तो कोराना के हालात ठीक रहे तो उत्तर प्रदेश, पंजाब होते हुए फरवरी में जम्मू-कश्मीर जाकर यात्रा समाप्त होगी। भारत जोड़ो यात्रा करने के दौरान तमाम खबरों व अन्य माध्यमों से राहुल गांधी को विभिन्न लोगों से मिलकर भारत की संस्कृति, सामाजिक बुनावट , ऐतिहासिक विरासत, भौगोलिक और आर्थिक स्थिति- परिस्थिति को नजदीक से समझने की कोशिश करते हुए देखा जा रहा है। सहज भाव और सादगी के साथ हर आयु वर्ग से जुड़ने का प्रयास करते हुए राहुल गांधी को उनकी पोस्ट के माध्यम से देखा जा सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि समाज के विभिन्न वर्गों के लोग उनके साथ चलते हुए दिख रहे हैं अब तक की यात्रा में फिल्मी दुनिया के कलाकार सामाजिक कार्यकर्ता ,खिलाड़ी अर्थशास्त्री , रंगकर्मी सहित विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े हुए प्रमुख लोग भी शामिल हुए हैं जो कांग्रेस और इस भारत जोडो यात्रा के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। कुछ राजनीतिक विश्लेषको के अनुसार यह यात्रा कांग्रेस जनाधार को व्यापक करने और आगामी चुनावों में मददगार हो सकती हैं। इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी देश के जाने-माने अर्थशास्त्रियों से मुलाकात कर रहे हैं तथा यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि- देश की अर्थव्यवस्था को किस तरीके से मजबूत किया जा सकता हैं। इसी तरह राहुल गांधी समाज के सभी वर्गों के लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं को जानने और उनकी समस्याओं के निदान तलाशने का काफी प्रयास करते हुए दिख रहे हैं । हालांकि इस यात्रा से कांग्रेस को भविष्य में राजनीतिक तौर पर क्या हासिल होगा और इसमें राहुल गांधी की वर्तमान छवि पर प्रभाव पड़ेगा यह कहना तो मुश्किल है लेकिन जो भी हो अनुमानतः इस यात्रा का कांग्रेस की राजनीति और भारतीय राजनीति पर सकारात्मक प्रभाव दिख रहा हैं । यही कारण है कि राहुल गांधी कांग्रेस विरोधी राजनीतिक पार्टियों पर आरोप लगा रहे हैं की देश के प्रमुख राजनीतिक दल भारत जोड़ो यात्रा से डर रहे हैं। व्यक्तिगत तौर पर मैं अपनी बात करूं तो भारत जोड़ो यात्रा के बाद जिस तरह से मैं राहुल गांधी को देख रहा था आज मेरा नजरिया बेहद बदल चुका है। मेरे जैसे अनेकों लोग हैं जिनकी राहुल गांधी के प्रति सोच बदल चुकी है। कुछ वर्ष पहले राहुल गांधी को हंसी -मजाक का पात्र बना दिया गया था । जिसका कारण केवल सोशल मीडिया रही। ऐसे में यह भी कहा जा सकता है कि भारत जोड़ो यात्रा के चलते राहुल गांधी ने खुद को देश के लिए समर्पित और संवेदनशील नेता की छवि लोगों के मन में बना ली है। इस बात से यह स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि- राहुल गांधी ने अपनी वैचारिक स्थिति को भी बदलना प्रारंभ कर दिया है। जिसके कारण और भी कई ऐसे लोग हैं जो राहुल गांधी को पूर्व की अपेक्षा अब गंभीरता से लेते हैं जहां तक राजनैतिक निहितार्थ का सवाल है तो भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी अधिक से अधिक बेरोजगारों, नौजवानों, दलितों , आदिवासियों , गरीबों ,किसानों और मुसलमानों के साथ खड़े दिखने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। इसके पीछे का यह भी कारण हो सकता है कि शायद वे 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी वैचारिक रेखा खींचना चाह रहे है । सबसे बड़ा सवाल जो विपक्ष की तरफ से कांग्रेस कर लगातार लगता उठता रहा है वह परिवारवाद का आरोप है। आपको बता दें कि परिवारवाद के आरोप से भी कांग्रेस ने पल्ला छुड़ाने की कोशिश की है । 24 वर्ष बाद गांधी परिवार से बाहर किसी व्यक्ति को कांग्रेस अध्यक्ष चुना गया है। इस तरह अन्य राजनीतिक पार्टियों द्वारा लगाए गए परिवारवाद के आरोप का मुद्दा थमता हुआ दिख रहा है । मौजूदा समय में राहुल गांधी अपनी यात्रा से राजनीतिक मंजर तथा माहौल को बदलते हुए दिख रहे हैं। लेकिन वर्तमान स्थिति में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ही कांग्रेस के वरिष्ठ राजनेता व स्वयं राहुल गांधी विवादों में घिरते हुए नजर आए।
इस बात को स्पष्ट करना चाहेंगे कि हाल ही में चीन से हुए विवाद को लेकर सैनिकों के लिए राहुल गांधी के बयान व कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ राजनेताओं के बयान पर विपक्ष ने कांग्रेस को खूब घेरा हालांकि आरोप-प्रत्यारोप का यह मामला कोई नया नहीं है। रही बात जीत और हार की तो आने वाले चुनाव के परिणाम ही तय करेंगे। चुनावी नतीजों से परे यह यात्रा निश्चित रूप से कुछ नये आयाम स्थापित करने में सफल होगी।
कांग्रेस पार्टी के परम्परागत विरोधी भी इस यात्रा को कौतूहल भरी नजरों से देख रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की माने तो वह जनता से जमीनी जुड़ाव, सहकार, समन्वय, साहचर्य कायम करने, भारतीयता और भाईचारा जीवंत करने तथा देश की बुनियादी समस्याओं को करीब से समझने एवं रूबरू होने के लिए उन्होंने इस यात्रा का प्रारंभ किया था ।
बकौल राहुल गाँधी वह देश में विगत वर्षों में व्याप्त नफरत के माहौल को मिटाकर देश में प्यार मुहब्बत एकता और आपसदारी का वातावरण निर्मित करना चाहते हैं। कांग्रेस विरोधी राजनैतिक दल इसे महज राजनीतिक यात्रा और राहुल गाँधी को स्वयं को देश के नेता के रूप में स्थापित करने का महज प्रयास मान रहे हैं। आपको बता दें कि- हिन्द महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के संगम स्थल कन्याकुमारी से प्रारंभ हुई यह यात्रा केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु ,महाराष्ट्र ,मध्य प्रदेश राजस्थान व हरियाणा से गुजरकर वर्तमान समय में दिल्ली में जारी है तथा उत्तर प्रदेश होते हुए जम्मू-कश्मीर तक जायेगी। हालांकि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने कोविड- प्रोटोकॉल का पालन करते हुए यात्रा चलाने के निर्देश दिए हैं। लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसको महज यह बताकर खारिज किया है कि मोदी सरकार भारत जोड़ो यात्रा से डरी हुई है और देश समस्याओं की सच्चाई से सामना नहीं करना चाहती है। इसलिए कोरोना का बहाना बनाकर भारत जोड़ो यात्रा को रोकने का प्रयास कर रही है । अब तक तो हमने भारत जोड़ो यात्रा के शुरुआती व अब तक की जानकारी दी। आगे की बात करें तो कोराना के हालात ठीक रहे तो उत्तर प्रदेश, पंजाब होते हुए फरवरी में जम्मू-कश्मीर जाकर यात्रा समाप्त होगी। भारत जोड़ो यात्रा करने के दौरान तमाम खबरों व अन्य माध्यमों से राहुल गांधी को विभिन्न लोगों से मिलकर भारत की संस्कृति, सामाजिक बुनावट , ऐतिहासिक विरासत, भौगोलिक और आर्थिक स्थिति- परिस्थिति को नजदीक से समझने की कोशिश करते हुए देखा जा रहा है। सहज भाव और सादगी के साथ हर आयु वर्ग से जुड़ने का प्रयास करते हुए राहुल गांधी को उनकी पोस्ट के माध्यम से देखा जा सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि समाज के विभिन्न वर्गों के लोग उनके साथ चलते हुए दिख रहे हैं अब तक की यात्रा में फिल्मी दुनिया के कलाकार सामाजिक कार्यकर्ता ,खिलाड़ी अर्थशास्त्री , रंगकर्मी सहित विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े हुए प्रमुख लोग भी शामिल हुए हैं जो कांग्रेस और इस भारत जोडो यात्रा के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। कुछ राजनीतिक विश्लेषको के अनुसार यह यात्रा कांग्रेस जनाधार को व्यापक करने और आगामी चुनावों में मददगार हो सकती हैं। इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी देश के जाने-माने अर्थशास्त्रियों से मुलाकात कर रहे हैं तथा यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि- देश की अर्थव्यवस्था को किस तरीके से मजबूत किया जा सकता हैं। इसी तरह राहुल गांधी समाज के सभी वर्गों के लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं को जानने और उनकी समस्याओं के निदान तलाशने का काफी प्रयास करते हुए दिख रहे हैं । हालांकि इस यात्रा से कांग्रेस को भविष्य में राजनीतिक तौर पर क्या हासिल होगा और इसमें राहुल गांधी की वर्तमान छवि पर प्रभाव पड़ेगा यह कहना तो मुश्किल है लेकिन जो भी हो अनुमानतः इस यात्रा का कांग्रेस की राजनीति और भारतीय राजनीति पर सकारात्मक प्रभाव दिख रहा हैं । यही कारण है कि राहुल गांधी कांग्रेस विरोधी राजनीतिक पार्टियों पर आरोप लगा रहे हैं की देश के प्रमुख राजनीतिक दल भारत जोड़ो यात्रा से डर रहे हैं। व्यक्तिगत तौर पर मैं अपनी बात करूं तो भारत जोड़ो यात्रा के बाद जिस तरह से मैं राहुल गांधी को देख रहा था आज मेरा नजरिया बेहद बदल चुका है। मेरे जैसे अनेकों लोग हैं जिनकी राहुल गांधी के प्रति सोच बदल चुकी है। कुछ वर्ष पहले राहुल गांधी को हंसी -मजाक का पात्र बना दिया गया था । जिसका कारण केवल सोशल मीडिया रही। ऐसे में यह भी कहा जा सकता है कि भारत जोड़ो यात्रा के चलते राहुल गांधी ने खुद को देश के लिए समर्पित और संवेदनशील नेता की छवि लोगों के मन में बना ली है। इस बात से यह स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि- राहुल गांधी ने अपनी वैचारिक स्थिति को भी बदलना प्रारंभ कर दिया है। जिसके कारण और भी कई ऐसे लोग हैं जो राहुल गांधी को पूर्व की अपेक्षा अब गंभीरता से लेते हैं जहां तक राजनैतिक निहितार्थ का सवाल है तो भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी अधिक से अधिक बेरोजगारों, नौजवानों, दलितों , आदिवासियों , गरीबों ,किसानों और मुसलमानों के साथ खड़े दिखने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। इसके पीछे का यह भी कारण हो सकता है कि शायद वे 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी वैचारिक रेखा खींचना चाह रहे है । सबसे बड़ा सवाल जो विपक्ष की तरफ से कांग्रेस कर लगातार लगता उठता रहा है वह परिवारवाद का आरोप है। आपको बता दें कि परिवारवाद के आरोप से भी कांग्रेस ने पल्ला छुड़ाने की कोशिश की है । 24 वर्ष बाद गांधी परिवार से बाहर किसी व्यक्ति को कांग्रेस अध्यक्ष चुना गया है। इस तरह अन्य राजनीतिक पार्टियों द्वारा लगाए गए परिवारवाद के आरोप का मुद्दा थमता हुआ दिख रहा है । मौजूदा समय में राहुल गांधी अपनी यात्रा से राजनीतिक मंजर तथा माहौल को बदलते हुए दिख रहे हैं। लेकिन वर्तमान स्थिति में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ही कांग्रेस के वरिष्ठ राजनेता व स्वयं राहुल गांधी विवादों में घिरते हुए नजर आए।
इस बात को स्पष्ट करना चाहेंगे कि हाल ही में चीन से हुए विवाद को लेकर सैनिकों के लिए राहुल गांधी के बयान व कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ राजनेताओं के बयान पर विपक्ष ने कांग्रेस को खूब घेरा हालांकि आरोप-प्रत्यारोप का यह मामला कोई नया नहीं है। रही बात जीत और हार की तो आने वाले चुनाव के परिणाम ही तय करेंगे। चुनावी नतीजों से परे यह यात्रा निश्चित रूप से कुछ नये आयाम स्थापित करने में सफल होगी।