मेजर डा० जगदीश प्रसाद पाण्डेय की 5वीं पुण्यतिथि आज


उत्तर प्रदेश।

रिपोर्ट: वीर सिंह

न्यूज़ डेस्क: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जनपद में स्थित सगड़ी तहसील क्षेत्र के श्री गाँधी पीजी कॉलेज मालटारी में पूर्व प्राचार्य रहे स्व० डॉ० जगदीश प्रसाद पांडेय की आज पुण्यतिथि है, 3 अगस्त 2018 को इनका निधन हो गया था। 

आइए डालते हैं उनके जीवन पर एक नजर

बात तब की है जब देश भारत छोड़ो आंदोलन के बाद अपनी स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजी हुकूमत से निर्णायक लड़ाई लड़ रहा था। गोरखपुर जनपद के क्रांतिकारी चौरीचौरा तहसील के राजधानी गांव में एक सामान्य किसान परिवार में जगदीश प्रसाद पांडेय का जन्म हुआ। राजधानी उस समय विकास से कोसों दूर था और साधनों के अभाव में प्रतिभाएं संघर्ष कर रही थीं। कछार का यह इलाका पहले अपने भौतिक व आर्थिक संसाधनों के लिए सरकारों व स्वयं से जूझते ही रहा।पर यहां की क्रांतिकारी मिट्टी की खुशबू  इनके रोम रोम में बसी थी।
जो बाद में इनके ब्वक्तित्व का आधार बनी। गोर्रा नदी के कछार में जन्मे इस बालक ने जिसे अपनी मां ने पांच नवजातों की असामयिक मृत्यु के बाद बचाया था,इस विपरीत परिस्थितियों को अपने संघर्ष का हिस्सा बना लिया। हिस्से में मां बाप व बड़े भाई का प्यार भी ज्यादा आया तो गांव के  लोगों का स्नेह।अपने टोले में श्रीनेत राजपूत समुदाय की बाहुल्यता के बीच बचपन से अतिरिक्त स्नेह और प्यार पाने के कारण पूरे गांव में और अन्य लोगों के बीच अत्यंत गहरे पीढ़ी दर पीढ़ी के आत्मीय संबंध बनाए। अपने इसी जुझारूपन और संघर्ष के  साथ  इन्होंने गोरखपुर शहर के डीएवी से इंटर व गोरखपुर विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक व स्नातकोत्तर परीक्षा पास की। छात्र जीवन में एनसी हॉस्टल के छात्रवासी रहेऔर व छात्र राजनीति में जुझारू तेवर के साथ सक्रिय रहे। पंचानन राय, कल्पनाथ राय, बाबू सेवक सिंह बरही व डीआईजी दयानिधि मिश्र जैसे लोगों की मित्र मंडली ने जहां एक नायक तैयार हो रहा था तो वहीं अपनी प्रतिभा के दम पर ये एक योग्य विद्वान समाजशास्त्री बना बने। साठ के दशक के अंत में आजमगढ़ जनपद के पुराने और मशहूर गांधी पीजी कॉलेज मालटारी में इन्होंने बतौर अध्यापन शुरू किया और 42 वर्षों तक सेवा की।
सेवाकाल में बेहद अनुशासित और निर्भीक रहने वाले जेपी पांडेय एनसीसी में मेजर रहे। अपने कड़क स्वभाव से बाद में मेजर साहब नाम से ही पुकारे जाने लगे।
 महाविद्यालय को अपनी कर्मभूमि मान के तन मन धन से इन्होंने मथुरा राय  व कुबेर मिश्र के सानिध्य से महाविद्यालय का नाम प्रदेश भर में रोशन किया।डॉक्टर पांडेय को एक बेहद कड़क व निर्भीक प्रशासक माना जाता रहा। महाविद्यालय से निकले सैकड़ों छात्र आज उच्च पदों पर है। अपने प्राचार्य रहने के दौरान श्री पांडेय ने विकास के नए कीर्तिमान बनाएं। छात्रों में कड़क स्वभाव स्टाफ व अभिभावकों में बेहद लोकप्रियता के कारण इनकी छवि अजातशत्रु की बनी रही। महाविद्यालय में इनके विकास को आज भी याद करते वक्त उनकी चर्चा जरूर होती है। छात्रावास, स्टैंड, पानी, गेस्ट हाउस, शोध कार्य,एनसीसी व अन्य विकास आज भी यादगार हैं। यह क्षेत्र अपने शिक्षा और शिक्षक नेताओं के वजह से पूर्वांचल की शिक्षक राजनीत की गंगीत्री नाम से मशहूर रहा।पंचानन राय एमएलसी,घनश्याम सिंह प्रदेश अध्यक्ष,और न जाने कितने संगठनों की संसद यही लगती रही।डॉ पांडेय क्षेत्र में बेहद लोकप्रिय रहे और निर्विरोध कई सालों तक महाविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष रहे। 30 से अधिक छात्रों को शोध कराया, कई शोध प्रबंध प्रकाशित हुए, विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद के सदस्य रहे, मेजर रहे, व विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित समाजशास्त्र विषय के कई वर्षों तक शोध कन्वीनर रहे। अपनी विद्वता और लोकप्रियता से पूरे जनपद में इन्हें बड़ा ही सम्मान प्राप्त था। अपने मातृभूमि से भी गहरे लगाव के कारण यह जाने जाते थे। साधन की अनुपलब्धता और सोशल मीडिया का दौर ना होने के बाद भी अपनी मिट्टी से जुड़े रहना और उसे जीना सबके बस की बात नहीं है।गांव के पुराने लोग और इनके बाल सखा और साथी उनकी इस आत्मीयता को आज भी चौपालों में बताते रहते हैं।और उन्हें गर्व और अभिमान भी करते रहते हैं जो शायद आज के इस दौर में अन्य के लिए दुर्लभ है।सच ही है कि ऐसी आत्माएं जन्म नहीं अवतार लेती है। आज उनकी पांचवी पुण्यतिथि है उन्हें याद करना उस धरोहर का सम्मान है।

बड़े गौर से सुन रहा था जमाना।
तुम ही सो गए दास्तां कहते कहते।।...

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