कुछ तो है जो कहना है- प्रोफेसर अखिलेश चन्द्र द्वारा रचित सुंदर रचना


कविता

कुछ तो है जो कहना है 

कुछ तो है  जो कहना है
मुझको चुप नहीं रहना है

सौम्यता मुस्कुराहट बना है
सबके चेहरे का   गहना है

रंग बदलती रहती  दुनियां है
अपने आपको बचाते रहना है

तुम्हारी मुस्कान पर कुर्बान है
तुम्हारे कदमों में मेरी जान है

मेरी दोस्ती सिर्फ तुझसे है
ये दोस्ती   एक मिशाल है

उसे सब साफ करना ही अब है
उसने लिए हाथ में अपने रुमाल है

अच्छी राहें जो  भी चलता यहां है
अखिल  राहों में उसके जंजाल है।

लेखक: प्रोफेसर अखिलेश चन्द्र 
शिक्षा संकाय 
श्री गांधी पी जी कॉलेज मालटारी आजमगढ़ उत्तर प्रदेश 



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