प्रो. अखिलेश चन्द्र को 'सारस्वत सम्मान', महाविद्यालय ने भेंट की 'साहित्यकार की कुर्सी'


आज़मगढ़।

रिपोर्ट: वीर सिंह


आजमगढ़ (सगड़ी): श्री गांधी पी.जी. कॉलेज, मालटारी में कार्यरत शिक्षा संकाय के प्रोफेसर अखिलेश चन्द्र को उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए महाविद्यालय परिवार की ओर से ‘सारस्वत सम्मान’ से सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम प्राचार्य प्रो. शुचिता श्रीवास्तव की अध्यक्षता में संपन्न हुआ, जिसमें प्रो. चन्द्र को 'साहित्यकार की विशेष कुर्सी' भी उपहारस्वरूप भेंट की गई।
प्राचार्य प्रो. शुचिता श्रीवास्तव ने कहा, "प्रोफेसर अखिलेश चन्द्र विगत 29 वर्षों से साहित्य सेवा में रत हैं। उनकी कहानी ‘अनकही’, जो 2016 में 'साक्षात्कार' पत्रिका (मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी भोपाल द्वारा प्रकाशित) में छपी, आज भी पाठकों के मन को छूती है। हाल ही में उनकी कहानी ‘रिक्शावाला’ का प्रकाशन दैनिक देवब्रत में हुआ है, जो हम सभी के लिए गर्व की बात है।"

कार्यक्रम संयोजक प्रो. प्रशांत कुमार राय ने कहा, "‘हंसूली’ कहानी के लेखन काल से ही मैं प्रोफेसर अखिलेश चन्द्र की रचनात्मकता का साक्षी रहा हूं। इसका नाट्य रूपांतरण समूहन कला संस्थान के श्री राजकुमार शाह द्वारा 24 बार राष्ट्रीय मंचों पर किया जा चुका है।"
कार्यक्रम का संचालन कर रहे प्रो. हसीन खान (अध्यक्ष, हिंदी विभाग) ने कहा, "आपकी कहानियां आमजन की संवेदनाएं जीवंत करती हैं। ‘पलायन’ में आपने एक बकरी के माध्यम से किसान जीवन का जो मार्मिक चित्र खींचा है, वह मुंशी प्रेमचंद की याद दिलाता है।"
आपका कहानी संग्रह ‘अनकही’ 2018 में प्रकाशित हुआ था, जिसका द्वितीय संस्करण 2024 में आया। इसमें कुल 11 कहानियां हैं, जिन पर देश भर में विमर्श जारी है। इसके अतिरिक्त आपकी कविता संग्रह ‘सहचर मन’ और यूट्यूब पर लोकप्रिय गीत हमार सुगना, मेरे राम आए हैं, लेवे दिहे मोहे जनम हो और जिंदगी बस प्यार का ताना-बाना है को भी खूब सराहा गया है।

साहित्यिक यात्रा पर वक्ताओं की राय:

डॉ. जगदीश कुमार: "आपकी कहानियों में प्रेमचंद की झलक है। ‘चंद्रकला’ और ‘अखिल आई हेट यू’ पढ़ते हुए यही अनुभव होता है।"

डॉ. शैलेश कुमार सिंह: "‘रिक्शावाला’ कहानी समाज में संवेदना की पुनर्स्थापना करती है।"

लेफ्टिनेंट चंदन कुमार: "‘इंतजार’ मेरी पसंदीदा रचनाओं में से है, जबकि ‘अनकही’ एक भ्रूण के माध्यम से स्त्री विमर्श को नई दिशा देती है।"

श्री राजेश कुमार यादव: "‘फूलवाली’ कहानी ने मुझे आपकी लेखन शक्ति से परिचित कराया।"

प्रो. कैलाशनाथ गुप्ता: "आप विज्ञान के विद्यार्थी होते हुए हिंदी साहित्य में एक विशिष्ट स्थान बना चुके हैं।"

श्री राजेन्द्र यादव व श्री उपेन्द्र राय: "आपका व्यक्तित्व समर्पित और संवेदनशील है। हम सभी आपके साथ खुद को सम्मानित महसूस करते हैं।"


प्रोफेसर अखिलेश चन्द्र का वक्तव्य:

"हालांकि मुझे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों से भी कई सम्मान मिले हैं, लेकिन अपने महाविद्यालय द्वारा दिया गया ‘सारस्वत सम्मान’ और ‘साहित्यकार की कुर्सी’ मेरे लिए अत्यंत भावुक क्षण है। इस सम्मान से मेरी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। मैं विशेष रूप से अपनी अर्धांगिनी प्रोफेसर गीता सिंह को धन्यवाद देता हूं, जो मेरी प्रेरणास्रोत, पहली पाठक और आलोचक हैं। उन्होंने 2017 में ‘शिक्षक श्री पुरस्कार’ प्राप्त कर महाविद्यालय को गौरवान्वित किया है।"

कार्यक्रम में महाविद्यालय परिवार के सभी सदस्यों ने भाग लिया और अपनी शुभकामनाएं दीं।

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