आज़मगढ़।
रिपोर्ट: वीर सिंह
● छुटे हुए शून्य से 5 वर्ष तक के बच्चों का हो रहा है सर्वे
● तीन चरणों में चलेगा विशेष टीकाकरण अभियान
आजमगढ़, 19 दिसम्बर 2022: प्रदेश में मीजेल्स और रूबेला के बढ़ते खतरे को देखते हुए जनपद में छुटे हुए शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों का सर्वे कराया जा रहा है। शासन के निर्देश के अनुसार मीजेल्स और रूबेला जैसी खतरनाक बीमारियों के खात्मे को लेकर छुटे हुए बच्चों के टीकाकरण के लिए सर्वे का कार्य कराया जा रहा है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आईएन तिवारी का।
डॉ तिवारी ने बताया कि जनपद में इस समय शून्य से 5 वर्ष तक के बच्चों की कुल संख्या 6,34,782 है। सर्वे के कार्य को पूरा करने के लिए सभी आशा कार्यकर्ता को संबंधित स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रशिक्षित करने का कार्य पूरा कर लिया गया है। इसका सत्यापन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी तथा सहयोगी संस्थाओं की ओर से किया जायेगा।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ० संजय कुमार ने बताया कि नियमित टीकाकरण कार्यक्रम एवं मीजेल्स और रूबेला जैसी खतरनाक बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए प्रतिवर्ष अभियान चलाया जाता है। यह अभियान तीन चरणों में चलेगा। प्रथम चरण नौ से 20 जनवरी 2023, द्वितीय चरण 13 से 24 फरवरी 2023 तथा तृतीय चरण 13 मार्च से 24 मार्च 2023 तक चलाया जायेगा।
उन्होंने बताया कि हाल ही में झारखंड, बिहार, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र और हरियाणा में खसरे के मामले बढ़े हैं। उधर, मीजेल्स और रूबेला के टीकाकरण के मामले में यूपी के 41 जिले पहले ही हाई रिस्क श्रेणी में हैं। इसलिए टीकाकरण का आंकड़ा शत प्रतिशत रखा गया है। उन्होंने बताया कि सर्वे में आशा कार्यकर्ता अपने क्षेत्रों में जाकर टीकाकरण से वंचित बच्चों का पता कर रही हैं और उनकी सूची तैयार कर स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी चिकित्साअधिकारी/अधीक्षक को दे रही हैं। इससे टीकाकरण अभियान के दौरान उन बच्चों को प्राथमिकता दी जा सके। उन्होंने बताया कि आगामी तीन माह में सौ फीसदी बच्चों को टीकाकरण कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
यूनिसेफ के डीएमसी प्रवेश मिश्रा ने बताया कि खसरा एक जानलेवा रोग है, जो कि वायरस से फैलता है। बच्चों में खसरे के कारण विकलांगता तथा असमय मृत्यु हो सकती है। इसी प्रकार रूबैला भी एक संक्रामक रोग है जो वायरस से फैलता है, इसके लक्षण खसरा रोग जैसे ही होते हैं, यह लड़के या लड़की दोनों को संक्रमित कर सकता है। यदि कोई महिला गर्भवस्था के शुरूआती चरण में इससे सक्रंमित हो जाये तो कन्जेनिटल रूबैला सिन्ड्रोम हो सकता है, जो कि उसके भ्रूण तथा नवजात शिशु के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। खसरा एवं रूबैला का टीका पूर्ण रूप से सुरक्षित है, इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। अगर आप के बच्चे को खसरा और रूबेला का टीका नहीं लगा है, तो इसे अवश्य लगवायें। बच्चा सुरक्षित रहेगा।