आज़मगढ़।
रिपोर्ट: वीर सिंह
आजमगढ़, 06 जनवरी 2023 : केस-1 गोविंदपुर गांव निवासी सावित्री, 65 वर्ष के बाएं पैर में सूजन थी। कभी-कभी उनका पैर सुन्न भी हो जाता था। धीरे-धीरे उनके पैर में सूजन बढ़ने लगी। इसी दौरान उनके घर आई आशा कार्यकर्ता माधुरी ने उनकी जांच करायी। जांच में पता चला कि उनको फाइलेरिया है। आशा ने ही उन्हें इस बीमारी के कारण, लक्षण, बचाव व उपचार की जानकारी देने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग से दवा की किट भी दिलवाई। समझाया कि दिन या रात जब भी सोये मच्छरदानी जरूर लगाएं और पैरों को सफाई नियमित करें।
केस-2 भगतपुर की शीला सिंह, 54 वर्ष के दाएं पैर में सूजन थी। आशा कार्यकर्ता सितारा दीदी ने उनकी जांच करायी तो फाइलेरिया रोग निकला। अब आशा उनके घर आकर दवा एवं किट दे रही हैं। साथ ही घर वालों को समझाया कि घर के आसपास कूड़ा और गंदा पानी जमा नहीं होने दें।
सावित्री और शीला तो सिर्फ उदाहरण हैं। ऐसे कई मामले हैं जिनमें आशा पूरी व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी साबित हो रही हैं। इनके बदौलत ही स्वास्थ्य योजना धरातल पर पूर्ण रूप से उतर पा रही है। ब्लॉक अतरौलिया की आशा संगिनी कंचन पांडे ने बताया कि हमारे जैसी 20 आशा कुल 81 फाइलेरिया मरीजों की निगरानी कर रही हैं। साथ ही अपने क्षेत्र में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए इस रोग से बचाव एवं लक्षण की जानकारी देती हैं। उन्होंने बताया कि यह रोग मुख्य तौर पर शरीर के चार अंगों को प्रभावित करता है।
इसमें हाथ, पैर, हाइड्रोसील और महिलाओं का स्तन शामिल है। सिर्फ हाइड्रोसील वाले मरीजों को ऑपरेशन से राहत मिल सकती है लेकिन अन्य समस्याओं में व्यायाम और सफाई का काफी महत्व है। उन्होंने बताया कि संक्रमित व्यक्ति को सामान्य उपचार के लिए किट उपलब्ध कराते हैं।
इसमें हाथ, पैर, हाइड्रोसील और महिलाओं का स्तन शामिल है। सिर्फ हाइड्रोसील वाले मरीजों को ऑपरेशन से राहत मिल सकती है लेकिन अन्य समस्याओं में व्यायाम और सफाई का काफी महत्व है। उन्होंने बताया कि संक्रमित व्यक्ति को सामान्य उपचार के लिए किट उपलब्ध कराते हैं।
आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका महत्वपूर्ण:डीएमओ
जिला मलेरिया अधिकारी शेषधर द्विवेदी ने बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। यह क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है। हालांकि इसके लक्षण आने में 5-10 साल लग जाते हैं। इससे बचाव के लिए साल में एक बार दवा खिलाने का अभियान चलाया जाता है। हालांकि यह दवा गर्भवती, गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति और दो वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों को नहीं खानी होती है। उन्होंने बताया कि लगातार पांच वर्षों तक साल में एक बार दवा खा लेने से इस बीमारी के होने से रोकने या नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
उन्होंने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन को विभिन्न कार्यक्रम चल रहे हैं। इनकी जानकारी जैसे योजना, बीमारी के कारण, लक्षण, बचाव एवं उपचार आशा कार्यकर्ता समुदाय तक पहुंचा रही हैं। उन्होंने बताया कि जिले में कुल 548 लिम्फ़ोडिमा के मरीज चिन्हित किए गए हैं। इसमें कुल 178 हाईड्रोसील के मरीज हैं। इनमें कुल 36 मरीजों का हाईड्रोसील ऑपरेशन किया गया है। शेष का शिविर लगाकर उपचार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है।