19 जुलाई को मनाई जाएगी पूर्व विधायक स्व० सीपू सिंह की 10वीं पुण्यतिथि।


आज़मगढ़।

रिपोर्ट: वीर सिंह

आज़मगढ़: सगड़ी की सियासत में सीपू का नाम हमेशा के लिए अमर रहेगा। 19 जुलाई को प्रतिवर्ष पूर्व विधायक की याद में उनकी पुण्यतिथि मनाई जाती है। सगड़ी की जनता सहित पूरे पूर्वांचल से लोग आकर श्रधांजलि देते हैं। इस कार्यक्रम में अपार भीड़ होती है और उनको याद किया जाता है। जिसमें पूर्व विधायक की पत्नी पूर्व विधायक वंदना सिंह, बड़े भाई संतोष सिंह टीपू सहित पूरा परिवार मौजूद रहता है। 
इस वर्ष भी सीपू सिंह की याद में उनकी पुण्यतिथि जीयनपुर स्थित सेंट जेवियर्स स्कूल में मनाई जाएगी। जिसको लेकर तैयारियां चल रही हैं। क्षेत्र सहित पूरे जनपद वासियों से अपील की गई है कि 19 जुलाई 2023 सुबह 11 बजे कार्यक्रम में उपस्थित होकर सफल बनायें।

जानिये कौन थे पूर्व विधायक सर्वेश सिंह 'सीपू जिनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।

डेस्क: सर्वेश सिंह सीपू को राजनीति पिता पूर्व मंत्री स्वर्गीय राम प्यारे सिंह से विरासत में मिली थी। सगड़ी क्षेत्र के अमुवारी नरायनपुर गांव निवासी सीपू के पिता रामप्यारे सिंह को अमर सिंह का बेहद करीबी माना जाता था। रामप्यारे सिंह ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अजमतगढ़ ब्लाक के प्रमुख के रूप में शुरू की। वर्ष 1992 में सपा के गठन के बाद वे मुलायम सिंह के साथ हो गए। रामप्यारे सिंह वर्ष 1996 में पहली बार सपा के टिकट पर सगड़ी  विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और विधायक चुने गए। पार्टी ने वर्ष 2002 में सगड़ी विधानसभा से दोबारा टिकट दिया लेकिन रामप्यारे सिंह को हार का सामना करना पड़ा।

चुंकि रामप्यारे सिंह अमर सिंह के चलते मुलायम सिंह के भी काफी करीबी हो गए थे। इसलिए हार के बाद भी उन्हें न केवल विधान परिषद भेजा गया बल्कि वर्ष 2003 में सपा मुखिया मुलायम सिंह ने अपने मंत्रिमंडल में जगह देते हुए पर्यावरण मंत्री बनाया।

इस बीच वे कैंसर से पीड़ित हो गए। ऐसे में छोटे पुत्र सर्वेश सिंह उर्फ सीपू ने राजनीतिक क्षेत्र में सक्रियता दिखाई। इसी बीच दो साल बाद रामप्यारे सिंह का 31 मई 2005 को निधन हो गया। स्व.रामप्यारे सिंह की सगड़ी विधानसभा क्षेत्र में तैयार की गई राजनीतिक जमीन का फायदा सर्वेश को मिला। वर्ष 2007 में सर्वेश ने सपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ते हुए जीत हासिल की।

वर्ष 2010 में अमर सिंह सपा से अलग हुए और लोकमंच का गठन किया तो सीपू ने भी पिता के मित्र का साथ दिया और समाजवादी पार्टी छोड़ दी। अमर सिंह सीपू को पुत्र की तरह मानते थे जिसके कारण उन्होंने सीपू को लोकमंच में साथ रखने के बजाय वर्ष 2011 में बसपा में शामिल करा दिया।

इसके साथ ही सर्वेश के बड़े भाई संतोष सिंह उर्फ टीपू भी बसपा में आ गए। वर्ष 2012 के विधानसभा में बसपा मुखिया मायावती ने सर्वेश सिंह सीपू को सदर विधानसभा व उनके बड़े भाई संतोष सिंह टीपू को सगड़ी विधानसभा से चुनाव लड़ाया। उस समय सपा की लहर में दोनों भाई चुनाव हार गए और जिले की दस विधानसभा सीटों में से नौ पर सपा को जीत मिली। लेकिन सीपू ने सपा के बाहुबली दुर्गा प्रसाद यादव को कड़ी टक्कर दी थी।

हारने के बाद भी सर्वेश सिंह सीपू अपने पिता की तैयार की हुई जमीन को संवारने में लगे रहे। सरल स्वभाव के कारण सीपू लोगों के बीच काफी लोकप्रिय थे। कहा तो यहां तक जाता था कि सीपू ही वह नेता है जो दुर्गा प्रसाद यादव के अजेय क्रम को तोड़ सकता है। लेकिन 19 जुलाई 2013 को पूर्व विधायक सर्वेश सिंह सीपू की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। इस दौरान सीपू के करीबी भरत राय व एक अन्य व्यक्ति बदमाशों की गोली का शिकार हुए।
सीपू की लोकप्रियता का अंदाज इस बात से लगा सकते हैं कि उनकी हत्या के बाद हजारों लोग सड़क पर उतर जमकर तोड़फोड व आगजनी किये। कोतवाली तक पर भीड़ ने हमला कर दिया। सीपू की हत्या में माफिया ध्रुव कुमार सिंह कुंटू व उसके साथियों का आरोपी बनाया गया है। हत्या के बाद जिले में बिगड़ती कानून व्यवस्था और जनता के दबाव में राज्य सरकार ने मामले के सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। वर्षों बाद माफिया ध्रुव कुमार सिंह कुंटू व उसके साथियों को कोर्ट द्वारा सजा हुई जो आज भी जेल में बन्द है और सजा काट रहा हैं। 

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