आज़मगढ़।
रिपोर्ट: वीर सिंह
1962 भारत चीन युद्ध मे पराक्रम पर मिला था प्रथम वीर चक्र।
1965 पाक युद्ध मे हुए थे शहीद।
आजमगढ़- सगड़ी तहसील क्षेत्र के प्रथम वीर चक्र विजेता शहीद शौदागर सिंह का शहीद दिवस पर बलिदान स्मारक शौदागर पूर्व माध्यमिक विद्यालय पुनापार बड़ागांव में उनके मूर्ति पर परिजनों समेत अन्य ने दीप प्रज्वलित कर एव माल्यार्पण कर नमन करते हुए शहीद को नमन किया गया। शहीद को नमन करने में उनके परिवार के तमाम लोगों ने व गांव के सभ्रांत लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। साथ ही साथ विद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा उन्हें पुष्प अर्पित किया गया और कई बेहतरीन सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि भाजपा जिलाध्यक्ष श्रीकृष्ण पाल ने कहा कि शहीद किसी जाति धर्म का नही होता वह पूरे देश का आन बान शान होता है। शहीद शौदागर सिंह ने चीन की सरहद में घुस कर जिस तरह से 12 चीनियों को मार कर जो एस एल आर राइफल छीन कर लाकर देश को दिया वह खुद बड़ी बात थी। और यह तब हुआ जब उस समय आधुनिक हथियार देश मे नही थे पर हमारे जवानों के हिम्मत और जज्बा था ऐसे ही देश के प्रथम वीर चक्र विजेता शहीद शौदागर सिंह थे। जो देश का गौरव बढ़ाते हुए 12 चीनी एस एल आर राइफल जो दी उसके आधार पर देश ने आधुनिक हथियार बनाये और हमारी सेना ने पहली बार चीनी एस एल आर राइफल देखी। ऐसे सपूत पर हमें गर्व है और उनसे प्रेरणा लेकर हमारे गांव क्षेत्र देश के युवाओं को आगे बढ़ाने की जरूरत है। जिस तरह से उन्होंने 1962 के भारत चीन युद्ध मे बिना हथियार के लडते हुए लोहा मनवाया और पाकिस्तान युद्ध 1965 मे शहीद हो गए। ऐसे सपूत के लिए सच्ची श्रद्धांजलि तब होगी जब उनके बताए रास्तो पर हम चल सके।
वही कार्यक्रम के आयोजक एवं शहीद सौदागर सिंह की पौत्रवधू अंजना सिंह ने कहा कि शहीद किसी जाति धर्म मजहब का नही होता ऐसे ही शहीद शौदागर सिंह थे जो देश के लिए कई लड़ाइयां लड़ी जिसमें से भारत चीन युद्ध सहित भारत पाक युद्ध 1965 में जब वह वीरगति को प्राप्त हुए तो पूरा देश उनकी शहादत पर गर्व कर रहा था। जहां उन्होंने वीरता से लड़ते हुए कई पाकिस्तानी टैंको को ध्वस्त कर दिया था। और जब वह वीर गति को प्राप्त हुए तो रेडियो पर सूचना सुनकर सभी लोग मर्माहत हो उठे थे। पूरा गांव उस दिन शोक की लहर में डूब गया था। वह ऐसे सपूत थे जो देश के लिए 12 चीनियों को मारकर एसएलआर राइफल लाकर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंप थी और पहली बार देश में इस तरह के आधुनिक हथियार आए और उसके आधार पर हथियार आधुनिक बनाए गए। पर बिना हथियार के लड़ते हुए हिम्मत के साथ उन्होंने चीनियों को लोहा बनवाया था। भारत सरकार द्वारा उन्हें मरणोपरांत देश का प्रथम वीर चक्र से नवाजा था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉक्टर शैलेंद्र सिंह ने कहा कि सौदागर सिंह देश के ऐसे सपूत थे जिन पर हम गर्व महसूस करते हैं और उनकी शहादत में स्मृति दिवस पर आकर हम काफी बेहतर महसूस करते हैं पर ऐसे सपूत को नमन करने के लिए आज किसी के पास समय नहीं है जो देश को प्रथम वीर चक्र दिया था ऐसे सपूत के लिए लोगों के पास समय नहीं है। हमें उनसे प्रेरणा लेकर अपने बच्चों को उनके बारे में बताना और उनकी कहानी सुना कर सेना में भेजना है कि जिससे वह सेवा में जाकर देश की रक्षा कर सके।
कार्यक्रम का संचालन ज्ञानेंद्र मिश्रा ने किया अन्य लोगों में कोतवाल जितेंद्र बहादुर सिंह,प्रमोद यादव, संतोष जायसवाल,शिवचंद गोंड, सुरेश गोंड,रेनू गोस्वामी,उर्मिला सिंह,बजरंग मिश्रा,अंजना सिंह सत्यपाल सिंह,यशवंत सिंह सोनू,राज बहादुर सिंह,रामसरीख यादव,अखिलेश कुमार सिंह आदि लोगों उपस्थित थे।