श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ : भक्तों के विश्वास की रक्षा परमात्मा स्वयं करते हैं : बालव्यास देवी


आज़मगढ़।

रिपोर्ट: गौरव सिंह

आजमगढ़: भक्त और परमात्मा के बीच विश्वास की डोर है और भक्तों के विश्वास की रक्षा परमात्मा स्वयं करते हैं। परमात्मा जब वह भक्तों का अनुरागयुक्त समर्पण देखते हैं तो स्वयं दौड़े चले आते हैं। यह बात श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन वृंदावन से पधारी बाल व्यास देवी पूर्णिमा किशोरी जी ने ध्रुव व भरत के चरित्र की कथा कहते हुए कही। श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन बाल व्यास देवी पूर्णिमा किशोरी जी ने भक्त ध्रुव की कथा को विस्तार से सुनाते हुए कहा कि जब भक्तों के अंदर विश्वास, अनुराग और समर्पण का भाव होता है, तब ईश्वर क्षण भर भी भक्तों को प्रतीक्षा नहीं कराते और भक्त को दर्शन देते हैं।
उन्होंने कहा कि जब ध्रुव ने बाल्यावस्था में जंगल में जाकर ईश्वर का ध्यान लगाया तो भगवान ने आकर उन्हें दर्शन दिये। श्रीमिश्र ने कहा कि जब भगवान भक्त के वश में होते हैं तो बहुत सारी लीलाओं का दर्शन कराते हैं। उन्होंने कहा कि भक्त जब-जब ईश्वर को अनुराग व समर्पण के साथ पुकारता है तो भगवान क्षण मात्र भी देर नहीं करते बल्कि नंगे पर ही दौड़े चले आते हैं।
कथा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा बालव्यास देवी ने कहा कि भगवान के चरित्र के श्रवण से व्यक्ति का लोक और परलोक दोनों सवर जाते हैं। श्रीमद्भागवत की महिमा को बताते हुए उन्होंने कहा श्रीमद्भागवत के श्रवण मात्र से जीव के सभी पापों का नाश हो जाता है और उसकी संसार में बार-बार के आवागमन कुचक्र से मुक्ति हो जाती है।
आपको बतादें- सगड़ी तहसील क्षेत्र के चकलाल चन्द में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का भव्य आयोजन किया गया। यह आयोजन परम पूज्य संन्यासी सद्गुरुदेव जी महाराज की प्रेरणा से किया गया है है। कथा का शुभारंभ 27 जनवरी से हुआ और यह 3 फरवरी तक चलेगा। कथा अनवरत दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक जारी है। जो कि 1 सप्ताह तक चलेगा। कथा के अंतिम दिन 3 फरवरी को भव्य प्रसाद वितरण (भंडारा) का आयोजन किया गया है। 
इस कार्यक्रम के आयोजक प्रदीप कुमार सिंह ने अपील किया है कि कथा सुनने के लिए सभी भक्त समय पर पहुंचकर इस पावन यज्ञ में शामिल हों और प्रभु की अनुकंपा प्राप्त करें। सभी भक्तगण इस दिव्य कथा का आनंद लें और अपने जीवन को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करें।

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