आजमगढ़। उर्दू प्रेस क्लब की एक अहम बैठक रविवार को मोहल्ला आसिफगंज में आयोजित हुई, जिसमें नवनिर्वाचित पदाधिकारियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। बैठक की सदारत उर्दू प्रेस क्लब के अध्यक्ष क़ाज़ी मोहम्मद अरशद ने की। उन्होंने पूर्व अध्यक्ष, स्वर्गीय क़ाज़ी अब्दुल बाफी को याद करते हुए कहा कि वे न सिर्फ़ ऑल इंडिया उर्दू राता कमेटी उत्तर प्रदेश के सेक्रेटरी थे, बल्कि कई उर्दू और हिंदी अख़बारों के संवाददाता भी रहे। उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी उर्दू ज़बान की ख़िदमत के लिए वक़्फ़ कर दी। वे एक नेकदिल और बेहतरीन इनसान थे।
बैठक में उर्दू अदब और सहाफ़त की शानदार विरासत पर भी चर्चा हुई। मशहूर शायर और अदीब जैसे कैफ़ी आज़मी, मजरूह सुल्तानपुरी, आरिफ़ अब्बासी, शमसुल होदा फारूकी, जिगर मुरादाबादी और हिंदी के नामवर लेखक राहुल सांकृत्यायन पर लिखी गई किताबों को ख़ास तौर पर याद किया गया।
उर्दू को घर-घर पहुँचाने की जरूरत
बैठक में मौजूद पदाधिकारियों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि उर्दू की तरक्की के लिए इसे घर-घर तक पहुँचाना होगा। नौजवानों और बच्चों को उर्दू ज़बान से जोड़ने के लिए उर्दू के अख़बार और रिसाले उनके बीच लाने होंगे। इससे न सिर्फ़ उर्दू ज़बान की ताईद होगी बल्कि आने वाली नस्लें भी इसकी एहमियत को समझ सकेंगी।
नायब सदर सैयद जमील हैदर ने गहरी चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा कि उर्दू की तालीम आज बेहद कमज़ोर हालत में है, जो अफ़सोस की बात है। उन्होंने सरकार से अपील की कि उर्दू की तरक्की के लिए ठोस क़दम उठाए जाएँ और इसे तालीमी और अकादमिक शोधों में एक महत्वपूर्ण जगह दी जाए।
आज़ादी की तहरीक और उर्दू सहाफ़त की कुर्बानियाँ
उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान की आज़ादी की तहरीक में उर्दू अख़बारों, शायरों, लेखकों और दानिश्वरों ने अहम किरदार अदा किया। उर्दू सहाफ़त ने मुल्क को बेदार करने में बड़ी भूमिका निभाई, जिसकी बदौलत आज़ादी का ख़्वाब हक़ीक़त में तब्दील हुआ। इसलिए आज ज़रूरत इस बात की है कि उर्दू ज़बान की तालीम को मज़बूत करने के लिए सही बंदोबस्त किए जाएँ।
इस मौके पर हाजी महमूद अहमद ख्वाजा, असद अहमद, शेख़ एहतेशाम, एडवोकेट जितेंद्र कुमार मौर्य, किशन कुमार, सैयद असगर मेहदी, सैयद नज़मी समेत कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।