आज़मगढ़।
रिपोर्ट: वीर सिंह
चैत्र नवरात्र में मन्नत मांगने दूरदराज से आते हैं लोग,नवरात्र में होते हैं विविध कार्यक्रम।
पुरे नवरात्रि भर होती हैं भीड़ मेले जैसा माहौल प्रशासन रहता है सतर्क।
चैत्र नवरात्र में समाज सेवी राना राय सोनू के द्वारा प्रतिदिन चन्ना राम मंदिर पर होता है प्रसाद का वितरण।
आजमगढ़। सगड़ी तहसील क्षेत्र के धनछुला स्थित चन्नाराम मां कालिका का मंदिर क्षेत्र आस्था का केंद्र बना है। शारदीय व वासंतिक दोनों नवरात्र में यहां अपार भीड़ होती है। हर श्रद्धालु की मन्नतें यहां पर पूरी होती हैं। कालिका मां यहां वरुण वृक्ष में वास करती हैं।
ताल सलोना के किनारे स्थित है। भक्तों का जहां आना-जाना बारहों माह लगा रहता है। यहां शादी,धार्मिक अनुष्ठान,नवरात्र में हवन आदि बड़ी श्रद्धा से चलता रहता है। पुरे चैत्र नवरात्र पर भक्तों को प्रसाद का वितरण राना राय सोनू के द्वारा किया जाता है। सड़क के किनारे मेले जैसा वातावरण रहता है वही प्रशासन मुस्तैद रहता है। लगभग 600 वर्ष पूर्व राजस्थान प्रांत के दो राजसी भाई धन्नी¨सह व मन्नी ¨सह देशाटन को गोरखपुर के रास्ते नेपाल जा रहे थे।
रास्ते में यहां वीरान जंगल में रमणीक स्थल विश्राम के लिए रुके। धन्नी ¨सह मां की प्रतीक प्रतिमा साथ में लिए थे। यहां वरुण वृक्ष के नीचे प्रतिमा रख पूजा-अर्जन करने लगे। मां की प्रेरणा से यहीं रुकने का निर्देश हुआ। तभी से यहां पूजा का कार्य प्रारम्भ हुआ। बताया जाता है कि मां यहां साक्षात रुप में है। इनका स्थान बदलने,मंदिर बनवाने का कई प्रयास हुआ।
यहां पर भयंकर सांप व बिच्छू निकलने लगे। अंतत: उनका स्थान खुले में वरुण वृक्ष के नीचे रखा गया। वहां बने चबूतरे से सटाकर मंदिर का निर्माण हुआ। कालांतर में यहां पर धनछुला गांव का उद्भव हुआ। दूसरे भाई मन्नी ¨सह ने मनियर (बलिया) में जाकर मां के मंदिर का निर्माण कराया। 1901 में पुजारी शेखरज जो रंगून रहते थे। निसंतान दम्पत्ति को मां की प्रेरणा से पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। पांच रुपये से मां के चबूतरे का निर्माण कराया। स्व.पुजारी रामगति ¨सह फौज में नौकरी करते थे। उन्हें भी पुत्र नहीं था।
मां के आशीर्वाद से सोलह वर्ष बाद पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। 1968 में इन्होंने स्वामी स्वतंत्रतानंदजी के विमर्श से भिक्षाटन कर के मंदिर का निर्माण कराया। यहां 1971 में सहस्त्र चंडी यज्ञ हुआ। वर्तमान पुजारी रणविजय,सह संस्थापक पुजारी स्व0 पुजारी रामगति ¨सह के भतीजे हैं,जो उनके जीवन काल में ही पुजारी का कार्य संभाल लिए।
बताया कि नवरात्र की अष्टमी में यहां लोग विशेष अनुष्ठान करते हैं। बारह माह यहां भक्त आते हैं। नवरात्र में अपार भीड़ होती है जो आस्था का प्रमुख केंद्र है। पूरे नवरात्र भर भक्तों को समाज सेवी सोनू राय राना के द्वारा भंडारे का आयोजन कराया जाता है।