प्रॉपर्टी डीलर की रहस्यमयी हत्या: झाड़ियों में मिला शव, चुनावी रंजिश या पुरानी दुश्मनी?


आज़मगढ़।

रिपोर्ट: वीर सिंह

आजमगढ़। आजमगढ़ के सगड़ी क्षेत्र में एक सनसनीखेज घटना ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया। ग्राम भरौली के रहने वाले अश्वनी कुमार चौहान, एक प्रॉपर्टी डीलर और प्रधानी के चुनाव की तैयारी कर रहे एक महत्वाकांक्षी व्यक्ति, की बीती रात निर्मम हत्या कर दी गई।

अज्ञात हमलावरों ने उनकी सांसों को हमेशा के लिए छीन लिया और शव को नरहन खास गांव के पास सड़क किनारे झाड़ियों में फेंक दिया।


 यह खबर सुनते ही मृतक के परिवार में कोहराम मच गया, मानो उनके जीवन का सारा प्रकाश अंधेरे में डूब गया हो। शुक्रवार की शाम अश्वनी रोज की तरह घर से निकले थे। उनकी मां शिवकुमारी चौहान और पत्नी रंभा चौहान को बस इतना पता था कि वह अपने दोस्तों के साथ हसनपट्टी गांव में खाना खाने जा रहे हैं। हंसी-खुशी घर से विदा लेने वाला उनका बेटा, उनका पति, अब कभी वापस नहीं आएगा—यह सोच भी उनके लिए असहनीय थी। रात करीब 11 बजे पुलिस का फोन आया। दूसरी ओर से आई आवाज ने उनके दिल को चीर दिया—"अश्वनी की दुर्घटना में मौत हो गई है।" लेकिन यह कोई साधारण दुर्घटना नहीं थी। यह एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा थी, जिसका सच अभी तक रहस्य के परदे में छिपा हुआ है।।घटना स्थल पर पहुंची पुलिस ने शव को झाड़ियों से बरामद किया। पास में पड़ी एक लाठी और अश्वनी के कान के नीचे धारदार हथियार से बने गहरे घाव की चोट ने साफ कर दिया कि यह हत्या सुनियोजित थी। क्या यह चुनावी रंजिश का नतीजा था? या प्रॉपर्टी डीलिंग के धंधे में किसी की दुश्मनी का बदला? सवालों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा।

फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंची और हर सबूत को बारीकी से खंगालने में जुट गई, लेकिन सच अभी तक कोहरे में लिपटा हुआ है। अश्वनी का जीवन सपनों से भरा था। पिछली बार क्षेत्र पंचायत चुनाव में हार के बावजूद वह हिम्मत नहीं हारे थे। इस बार वह प्रधानी के लिए पूरी तैयारी कर रहे थे। गांव में प्लॉटिंग का काम शुरू कर उन्होंने अपनी मेहनत से एक नई पहचान बनानी शुरू की थी। लेकिन शायद उनकी यह उड़ान किसी को रास नहीं आई। उनकी मां शिवकुमारी ने पुलिस को दी तहरीर में चुनावी रंजिश का शक जताया और कुछ जाने-पहचाने चेहरों के साथ अज्ञात लोगों पर हत्या का आरोप लगाया। पुलिस ने दो-तीन संदिग्धों को हिरासत में लिया है, लेकिन हमलावरों का असली चेहरा अभी तक बेनकाब नहीं हुआ। घर में मातम का माहौल है। रंभा अपने पति को खोकर बेसुध सी रो रही हैं। उनकी दो मासूम बेटियां—6 साल की बीटी और 2 साल की स्वीटी—अभी यह भी नहीं समझ पा रही हैं कि अपने पिता की गोद मे अब कभी नहीं खेल पाएगी। अश्वनी की छोटी बहन अंजली, जो गुजरात में डॉक्टर है, भाई की मौत की खबर सुनकर टूट चुकी है। एक साधारण शाम, जो दोस्तों के साथ हंसी-मजाक में बीतनी थी, अब उनके परिवार के लिए जिंदगी भर का दर्द बन गई। जीयनपुर कोतवाल जितेंद्र बहादुर सिंह ने कहा, "हमें पहले लगा कि यह दुर्घटना है, लेकिन जांच से हत्या की बात सामने आई। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और हम हर पहलू की पड़ताल कर रहे हैं।" लेकिन सवाल वही है—क्या पुलिस इस रहस्य को सुलझा पाएगी? क्या अश्वनी के हत्यारे सलाखों के पीछे पहुंचेंगे? या यह कहानी भी अनसुलझे सवालों के साथ दफन हो जाएगी? यह हत्या सिर्फ एक परिवार का दुख नहीं, बल्कि एक गांव की उम्मीदों पर लगा ग्रहण है। अश्वनी चौहान की आंखों में जो सपने थे, वे अब खामोश हो चुके हैं। लेकिन उनका खून चीख-चीखकर इंसाफ मांग रहा है। क्या वह इंसाफ मिलेगा? यह वक्त ही बताएगा।

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