आज़मगढ़।
रिपोर्ट: वीर सिंह
आज़मगढ़: आज सगड़ी क्षेत्र के अमुवारी नरायनपुर गांव से उठने वाली वो आवाज़, जो कभी हरियाली के गीत गुनगुनाती थी, हमारे बीच नहीं है। लेकिन स्वर्गीय राम प्यारे सिंह जी की यादें आज भी हमारे दिलों में उसी मिठास और संवेदना के साथ गूंजती हैं। पूर्व विधायक वंदना सिंह के ससुर, राम प्यारे सिंह को न केवल अमर सिंह का बेहद करीबी माना जाता था, बल्कि मुलायम सिंह यादव के भी विश्वासपात्रों में उनकी गिनती होती थी।
उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत अजमतगढ़ ब्लॉक के प्रमुख के रूप में हुई। 1992 में जब समाजवादी पार्टी की नींव रखी गई, तो वे मुलायम सिंह यादव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो गए। 1996 में पहली बार सगड़ी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने और क्षेत्र की सेवा को नई परिभाषा दी। 2002 में चुनावी मैदान में हार का सामना जरूर किया, लेकिन पार्टी ने उनके योगदान को कभी नहीं भूला। विधान परिषद सदस्य बनाकर, और फिर 2003 में उत्तर प्रदेश सरकार में पर्यावरण मंत्री का पद देकर उन्हें एक नई जिम्मेदारी सौंपी।
लेकिन किसे पता था कि पर्यावरण की सेवा में समर्पित ये व्यक्तित्व खुद एक गंभीर बीमारी से जूझ रहा था। कैंसर ने उनके शरीर को कमजोर कर दिया, पर उनके हौसले को कभी नहीं तोड़ पाया। 31 मई 2005 को जब उनका निधन हुआ, तो नदियों ने कुछ पल के लिए अपनी कलकल ध्वनि थाम ली, और पेड़ भी मानो सन्नाटे में डूब गए।
आज, जब हम स्वर्गीय राम प्यारे सिंह जी को याद करते हैं, तो हमें सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि एक सच्चा पर्यावरण प्रेमी, एक संवेदनशील इंसान और एक समाजसेवी याद आता है। उनका सरल स्वभाव, सबको साथ लेकर चलने की क्षमता, और उनकी सहज मुस्कान आज भी लोगों के चेहरों पर एक सुकून भरी याद बनकर उभरती है। वे अक्सर कहा करते थे –
"पर्यावरण की रक्षा करना, आने वाली पीढ़ियों को बचाना है।"
उनका ये संदेश आज भी हर पेड़ की हरियाली में, हर नदी की लहरों में और हर खेत की मिट्टी में गूंजता है।
उनके समय में शुरू हुए जल और वन संरक्षण के प्रयास आज भी हमें ये याद दिलाते हैं कि सच्ची सेवा वही है, जो समाज को नई सांस दे सके। वे सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि हरियाली और जीवन के रक्षक थे। उनकी नीतियों ने जो हरियाली की चादर बिछाई, वो आज भी हमारे बीच जीवंत है।
आज उनकी पुण्यतिथि पर हम सब ये प्रण लें कि उनके दिखाए मार्ग पर चलकर हम एक हरित, स्वच्छ और समरस समाज की कल्पना को साकार करें। वे भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार, उनके आदर्श और उनका आशीर्वाद आज भी हमें दिशा दिखा रहा है।
राम प्यारे सिंह जी को शत-शत नमन।
आपकी स्मृतियां, आपके सपने – हम सबके दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे।