आज़मगढ़।
रिपोर्ट: वीर सिंह
सगड़ी (आजमगढ़): नगर पंचायत जीयनपुर की धरती रविवार की रात साक्षी बनी उस दिव्य क्षण की, जब चौदह वर्षों बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और भरत जी का मिलन हुआ।
भावनाओं से भरी हवा, जय श्रीराम के गगनभेदी नारे और आंखों में छलकते आंसू — पूरा नगर भक्ति में डूब गया।
श्री रामलीला समिति जीयनपुर द्वारा मंचित राम-भरत मिलन लीला ने ऐसा दृश्य रचा कि दर्शक भावविह्वल हो उठे।
बाजार खास मोहल्ले से निकली शोभायात्रा नगर की गलियों से होती हुई मछली मार्केट पहुंची, जहां पुष्पों से सजी रंगीन झांकी पर भगवान राम का आगमन हुआ।
रावण वध के बाद जब श्रीराम लक्ष्मण, सीता, हनुमान, सुग्रीव और अंगद के साथ पुष्पक विमान से लौट रहे थे, उसी पल हनुमान जी ने भरत को यह शुभ समाचार दिया — “राम अयोध्या लौट रहे हैं।”
यह सुनते ही भरत की आंखों से अश्रुधारा बह निकली। चौदह वर्षों से सिंहासन पर राम की खड़ाऊ रखकर तपस्या में लीन भरत, अपने प्रभु के स्वागत के लिए शत्रुघ्न संग दौड़ पड़े।
सीमा पर दोनों भाइयों का मिलन हुआ — राम ने भरत को गले लगाया, भरत उनके चरणों में गिर पड़े।
जय श्रीराम के नारों से आसमान गूंज उठा। भक्तों की आंखें नम थीं, पर चेहरे पर मुस्कान थी — जैसे चौदह वर्षों का विरह उसी पल धुल गया हो।
समिति के अध्यक्ष शिवदान चौरसिया, आनंद प्रकाश त्रिपाठी, प्रदीप कुमार तिवारी, गोविंद मद्धेशिया, मनीष कुमार चौरसिया, राजेश पटवा, अरविंद चौरसिया और विनय चौरसिया ने कार्यक्रम को भव्य रूप देने में अहम भूमिका निभाई।
संयोजक आर.के. अकेला ने सभी भक्तों का धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा — “यह केवल एक लीला नहीं, बल्कि प्रेम, त्याग और मर्यादा का जीवंत पाठ है, जो हर युग में प्रासंगिक रहेगा।”
अंत में हवन और आरती के साथ नगर ने प्रभु श्रीराम दरबार से आशीर्वाद मांगा —“राम का राज्य आए, प्रेम और समृद्धि हर घर में छाए।”