आज़मगढ़।
रिपोर्ट: वीर सिंह
आजमगढ़ 27 दिसम्बर-- अटल भूजल योजना जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। प्रदेश में लागू इस परियोजना की कुल लागत रू0 729.24 करोड़ है तथा परियोजना की अवधि 2024-25 तक है। परियोजना के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के बुन्देखण्ड क्षेत्र के महोबा, झाँसी, बाँदा, चित्रकूट, हमीरपुर तथा ललितपुर जनपदों के 20 विकास खण्ड तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत, मेरठ जनपद के 06 विकास खण्ड इस प्रकार कुल 26 विकास खण्डों को भूजल प्रबन्धन में सुधार लाये जाने के उद्देश्य से चयनित किया गया है।
प्रदेश की इन 26 विकास खण्डों की कुल चयनित 550 ग्राम्य पंचायतों में वाटर सिक्योरिटी प्लाट का विकास करते हुये क्षेत्र विशेष की हाइड्रोजियोलाजिकल परिस्थितियों के अनुरूप विभिन्न डिमाण्ड साइड इन्टवेन्शन यथा माइक्रो इरीगेशन पद्यति (ड्रिप एवं स्प्रिन्कलर प्रणाली द्वारा सिंचाई) हेतु जल का पुनर्पयोग, फसल चक्र में परिवर्तन, कम जल खपत वाली फसलों का चयन, कैनाल कमाण्ड एरिया में प्रेशराइज्य इरीगेशन पद्यति एवं अन्य जन बचत के उपाय तथा सप्लाई साइड इन्टरवेन्शन यथा चेकडैम परकोलेशन पॉन्ड, कन्टूर बडिंग/ट्रेन्चेस, रिचार्ज ट्रेन्च/शाफ्ट बेल का क्रियान्वयन किया जाता है। प्लान के विकास हेतु 79 गैर सरकारी संगठनों के Distict Impolimantion parters के रूप में चयनित किया गया है। परियोजना समुचित क्रियान्वयन हेतु प्रत्येक जनपद के जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जनपद स्तरीय कार्यक्रम इकाई (DPMU) का गठन किया गया है।
उत्तर प्रदेश अटल भूजल योजना के अन्तर्गत नवीनतम भूजल संसाधन आंकलन के आाधर पर प्रदेश के कुल 820 विकास खण्डों मूं से 82 विकास खण्ड अतिदोहित, 47 विकास खण्ड क्रिटिकल, 151 विकास खण्ड सेमी क्रिटिकल तथा शेष 540 विकास खण्ड सुरक्षित श्रेणी में वर्गीकृत है। इन विकास खण्डों में से कुल 26 विकास खण्ड भारत सरकार द्वारा संचालित अटल भूजल योजना में सम्मिलित किये गये है। तद्नुसार अवशेष 794 विकास खण्डों के भूजल प्रबन्धन हेतु कोई अन्य विकल्प उपलब्ध न होने के कारण अटल भूजल योजना के सादृश्य ही उत्तर प्रदेश अटल भूजल योजना के रूप में नवीन योजना प्रस्तावित की गयी है। जो प्रदेश में लागू करते हुए जल स्तर बढ़ाने व किसानों की फसल सिंचाई विभिन्न उपायों से कराई जा रही है।