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लेख: आज मार्क्सवाद के सह संस्थापक कॉमरेड फ्रेडरिक एंगेल्स के 202वें जन्मदिन का मौका है। उनका जन्म 28 नवंबर 1820 को बार्मेन प्रशिया, जर्मनी में हुआ था। फ्रेडरिक एंगेल्स एक धनी और पूंजीपति परिवार के सदस्य थे मगर उनके क्रांतिकारी विचार और चेतना उनको दूसरे क्रांतिकारी दार्शनिक विचारों के धनी कार्ल मार्क्स के करीब ले गई और यह दोस्ती आजीवन बनी रही। फ्रेडरिक एंगेल्स दुनिया के महान क्रांतिकारी दार्शनिक, लेखक और समाजवाद के सबसे बड़े प्रणेता थे। मार्क्स और एंगेल्स ने कहा था कि "सामाजिक स्थिति ही मनुष्य की चेतना यानी सोच को निर्धारित करती है।"
दोनों क्रांतिकारियों ने मिलकर कम्युनिस्टों की बाइबिल "कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो" की रचना की। फ्रेडरिक एंगेल्स इसी कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो के मार्क्स के साथ सह रचियेता थे। मार्क्स और एंगेल्स ने जो कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो लिखी थी उसमें "साम्यवाद के सिद्धांत" के लेखक फ्रेडरिक एंगेल्स ही थे। अपने क्रांतिकारी और समाजवादी लेखन के द्वारा कार्ल मार्क्स और एंगेल्स ने पूंजीवाद की लूट और शोषण का पूरी दुनिया के सामने भंडाफोड़ कर दिया और पूरी दुनिया को दिखा दिया कि पूंजीवादी व्यवस्था, तमाम जनता की, किसानों मजदूरों की बुनियादी समस्याओं का हल नहीं कर सकता, अतः इसके स्थान पर समाज में आमूलचूल परिवर्तनकारी, क्रांतिकारी परिवर्तन करके पूंजीवाद के स्थान पर समाजवादी व्यवस्था कायम करना सबसे जरूरी है
फ्रेडरिक एंगेल्स कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो की प्रस्तावना में बार-बार कहते हैं की मजदूर वर्ग की मुक्ति, मजदूर वर्ग ही करेगा। यह स्थापना और सिद्धांत पिछले डेढ़ सौ बरसों से ज्यादा समय में सही साबित हुए हैं। लेनिन ने इसी स्थापना को आगे बढ़ाया और कहा कि मजदूरों और किसानों की मुक्ति मजदूर किसान मोर्चा ही कर सकता है यानी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में मजदूर किसानों का क्रांतिकारी मोर्चा ही उनकी हजारों साल पुरानी गुलामी, गरीबी, भेदभाव, अन्याय और शोषण को खत्म कर सकता है।
मार्क्स और एंगेल्स के वैज्ञानिक विचारों की सोवियत संघ ,चीन, पूर्वी यूरोप, वियतनाम, उत्तरी कोरिया, क्यूबा, बोलीविया, मैक्सिको, दुनिया के दूसरे हिस्सों और भारत में वाम मोर्चा द्वारा शासित पश्चिमी बंगाल, केरल और त्रिपुरा में यह बात सही साबित हुई है जहां कम्युनिस्ट पार्टी और वामपंथी मोर्चे ने किसानों मजदूरों की मुक्ति के लिए उनको रोजी, रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा और भूमि देने के लिए अनेक काम किए और और आज भी यह सिद्धांत पूंजीवादी व्यवस्था का बखूबी मुकाबला कर रहे हैं।
मार्क्सवाद लेनिनवाद ने यह सिद्ध कर दिया है। पूरी दुनिया को दिखा दिया और बता दिया है कि पूंजीवादी व्यवस्था का मुकाबला या स्थापन केवल और केवल समाजवादी व्यवस्था ही हो सकती है। पूंजीवादी दुनिया और व्यवस्था के पास जनता के मजदूरों, किसानों और तमाम मेहनतकशों की बुनियादी समस्याओं जैसे रोटी कपड़ा मकान शिक्षा स्वास्थ्य सुरक्षा और बुढ़ापे की पेंशन का का समाधान नहीं है। उसका केवल और केवल एक ही मकसद है मुनाफा कमाना और देश और दुनिया के प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करना और पूरी दुनिया में अपना प्रभुत्व कायम करना।
एंगेल्स अपने अभिन्न दोस्त मार्क्स के आजीवन दोस्त बने रहे, आजीवन मार्क्स के परिवार की आर्थिक और तमाम तरह से मदद करते रहे। मार्क्स के परिवार की मदद करने के लिए उन्होंने अपना लेखन का काम छोड़ा और क्लर्क की नौकरी की और उनकी आर्थिक मदद की। अपने दोस्त की खातिर यह उनका दुनिया में सबसे बड़ा त्याग और बलिदान है जिससे हम सब कुछ सीख ले सकते हैं।
फ्रेडरिक एंगेल्स के साथी महान क्रांतिकारी, लेखक, दार्शनिक और समाजवाद के प्रस्तावक कार्ल मार्क्स ने खुद कहा था कि" यदि एंगेल्स की निस्वार्थ आर्थिक मदद न होती तो मैं अपने क्रांतिकारी दार्शनिक काम को आगे ले जा पाता।"इस प्रकार हम देखते हैं कि एंगेल्स ने आजीवन कार्ल मार्क्स के परिवार के सब तरीके से मदद की, ताकि कार्ल मार्क्स दुनिया की बेहतरी के लिए सबसे जरूरी अपने क्रांतिकारी लेखन को जारी रख सकें।
फ्रेडरिक एंगेल्स हालांकि एक धनी परिवार से संबंधित थे। उनके पिता कारखाने के मालिक थे, मगर कारखाने में मजदूरों का शोषण देखकर, वह उसको बर्दाश्त न कर सके और वे लेखन के काम में जुट गए। उनके इस क्रांतिकारी मिशन को अपनाने के लिए, उनके पिता ने उनके परिवार ने उनका विरोध किया और उनकी जमकर मुखालफत की, मगर फ्रेडरिक एंगेल्स ने उनके इस विरोध को दरकिनार कर दिया और अपने क्रांतिकारी लेखन को जारी रखा। उन्होंने अपने जीवन यापन के लिए कई नौकरियां की, फौज में भी नौकरी की। वे एक महान लेखक थे, दार्शनिक थे और क्रांतिकारी चिंतक थे। इसी वजह से उनके दोस्तों ने और स्वयं कार्ल मार्क्स ने उन्हें "जनरल" की उपाधि दी थी।
एंगेल्स उच्च कोटि के लेखक और क्रांतिकारी दार्शनिक थे। उन्होंने मार्क्स को सदैव अपने से आगे रखा। वे मार्क्स को एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी मानते थे और इस तरह से एंगेल्स सबसे पहले मार्क्सवादी थे। फ्रेडरिक एंगेल्स एक बहुत बड़े समाजवादी लेखक थे। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखी हैं जैसे 1.कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो, 2.परिवार, 3.निजी संपत्ति और राज्य की उत्पत्ति, 4.एंटी ड्यूरिंग डायलेक्टिक्स आफ नेचर, 5.समाजवाद काल्पनिक और वैज्ञानिक, 6.वानर से नर बनने में की प्रक्रिया में श्रम की भूमिका और 7.जर्मन आईडियोलॉजी आदि
मार्क्स और एंगेल्स ने इस दुनिया को केवल व्याख्यायित ही नहीं किया बल्कि इसे बदलने का काम भी किया। इन दोनों क्रांतिकारियों ने पूरी दुनिया को बताया कि पूंजीवाद मजदूरों के शोषण , अन्याय और तमाम तरह के जुल्मों सितम का खात्मा नहीं कर सकता और पूरी जनता की समस्याओं का हल नहीं कर सकता इसीलिए मजदूर वर्ग और किसानों को एकजुट होकर समाज में पूंजीवादी व्यवस्था के स्थान पर क्रांति करके समाजवादी समाज की स्थापना करनी पड़ेगी।
उन दिनों ने दुनिया को बदलने के काम के लिए पहला अंतरराष्ट्रीय इंटरनेशनल मजदूर संघ भी बनाया और इस संघ में लगातार कार्य किया। मार्क्स की मृत्यु के बाद एंगेल्स ने, मार्क्स के अधूरे कामों को पूरा किया। दास कैपिटल के पार्ट 2 और 3 को पूरा किया और अंतरराष्ट्रीय मजदूर वर्ग का मरते दम तक नेतृत्व किया। एंगेल्स की महान भूमिका को देखते हुए और मार्क्स के शब्दों को आगे बढ़ाते हुए हम कह सकते हैं कि यदि एंगेल्स न होते तो शायद मार्क्सवाद भी नहीं होता। यहां पर फ्रेडरिक एंगेल्स दुनिया की एक महान हस्ती बन कर निकलते हैं।
यह दुनिया के सबसे बड़े दोस्त और महान मित्र की संक्षिप्त कहानी है। हमें इससे सीख लेकर मार्क्स एंगेल्स के वैश्विक मानव मुक्ति के महान सपनों को साकार बनाने के अभियान में मजबूती से लगे रहना चाहिए। इन दोनों ने पूंजीवादी शोषण और अन्याय से मुक्ति पाने के लिए पूंजीवादी शोषण की पोल खोल दी जिससे पूरी पूंजीवादी दुनिया में त्राहि-त्राहि मच गई और इन दोनों ने क्रांति और समाजवाद की रूपरेखा जनता पूरी दुनिया के सामने रखी जिसने सबसे पहले 1917 में रूसी क्रांति के नाम से प्रसिद्ध पहली क्रांति के रूप में जन्म लिया और दुनिया में पूंजीवाद के स्थान पर किसानों मजदूरों की सरकार कायम की और समाजवादी समाज की स्थापना की। रूसी क्रांति के बाद दुनिया में क्रांतियों की बाढ़ आ गई और एक के बाद एक दूसरे देशों में क्रांति करके मैं दो और किसानों ने क्रांतियां की और वे अपने भाग विधाता बन गए।
फ्रेडरिक एंगेल्स की पूरी जीवनी को पढ़कर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं और यह सबक हासिल करते हैं कि हमें जीवन में अपने क्रांतिकारी साथियों की, लेखकों की, कार्यकर्ताओं की, समय पड़ने पर या आवश्यकता होने पर, तन मन धन से मदद करनी चाहिए। अगर हम देखते हैं कि कोई व्यक्ति आर्थिक रूप से कमजोर है मगर वह दार्शनिक, राजनीतिक और मार्क्सवादी रूप से मजबूत है तो हमें खुद को और दूसरे लोगों को मिलाकर उसकी आर्थिक मदद करनी चाहिए ताकि वह क्रांतिकारी मार्ग पर आगे बढ़ सके और अपने क्रांतिकारी संघर्ष और अपनी क्रांतिकारी यात्रा को जारी रख सकें।
लेखक: मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता