श्री रामलीला समिति महा महोत्सव अठनारू द्वारा शुरू की गई पारंपरिक रामलीला।


आज़मगढ़।

रिपोर्ट: वीर सिंह

लगभग 25 वर्षों से प्रतिवर्ष हो रही है रामलीला।

गांव के लोग श्रद्धा और सहयोग के साथ आयोजित करते हैं रामलीला।

दर्शकों की रही भीड़, महिलाओं ने भी राम लीला का लिया आनंद।

आज़मगढ़: सगड़ी तहसील क्षेत्र के श्री रामलीला समिति महा महोत्सव अठनारू इसरहा छोटी सरयू दुगनी पुल द्वारा पारंपरिक तरीके से रामलीला की शुरुआत की गई। रामलीला का शुभारंभ अजमतगढ़ ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि व भाजपा नेता मनीष मिश्रा ने फीता काटकर किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि- रामलीला हमें मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के आदर्शों पर चलने की प्रेरणा देती है । उन्होंने कहा कि संचार क्रांति के इस बदलते परिवेश में रामलीला आज भी भारतीय संस्कृति को जीवित रखे हुए हैं । लोगों को रामलीला से प्रेरित होकर भगवान श्री राम के आदर्शों पर चलना चाहिए। रामलीला का शुभारंभ सर्वप्रथम आरती के बाद किया गया जिसमें नारद मोह, रावण अत्याचार, रामजनम का सजीव चित्रण बहुत ही दार्शनिक तरीके से दिखाया गया। जिसका सभी लोगों ने आनंद लिया। कलाकारों ने नारद मोह की लीला का सुंदर मंचन किया नारद ने भगवान विष्णु को श्राप दिया। अयोध्या में राजा दशरथ के घर भगवान श्रीराम, भरत, लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न ने जन्म लिया तो अयोध्या नगरी में उल्लास छा गया। नगरवासी खुशी से झूम उठे और बधाइयों का सिलसिला शुरू हो गया रावण द्वारा साधु संतों पर अत्याचार किया गया। इस दौरान रामलीला समिति के प्रबंधक आलोक कुमार सिंह ने कहा कि रामलीला हमारी परंपरा से जुड़ी कला है। इसे नई पीढ़ी भगवान राम के आदर्शों के बारे में सीखती है। उन्होंने युवाओं से भगवान श्रीराम के आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करने का आह्वान किया। इस दौरान दिखाया गया कि देव ऋषि नारद को अपने ज्ञान और भक्ति का घमंड हो जाता है। इसे दूर करने के लिए भगवान विष्णु ने उनकी परीक्षा ली। नारद अपनी तपस्या में लीन थे, नारद जी की तपस्या से इंद्र का सिंहासन डोलने लगा और इंद्र ने नारद जी की तपस्या भंग करने के लिए तमाम उपाय किए ,अंत में कामदेव ने भी नारद की तपस्या से हार मान ली। नारद को जब पता चला की उसने कामदेव पर विजय प्राप्त कर ली है तो वह इस बात से खुशी होकर अभिमान करने लगे , विष्णु भगवान ने नारद जी को अभिमन  से मुक्त करने के लिए एक लीला रची, जिसमें नारद जी ने क्रोध में जाकर भगवान विष्णु को श्राप दिया। 
आपको बता दें यह रामलीला लगभग 25 वर्षों से कराई जा रही है जिसमें गांव के लोग श्रद्धा और सहयोग के साथ भाग लेते हैं जिसमें दर्शकों की काफी भीड़ होती है खासतौर से महिलाएं रामलीला का देखने जरूर आते हैं।
रामलीला समिति में प्रमुख रूप से अध्यक्ष आलोक कुमार सिंह, कोषाध्यक्ष जगपति साहनी, प्रबंधक नरसिंह यादव, छविनाथ यादव, उपाध्यक्ष धीरज राजभर, पंकज यादव, संयोजक हेमंत तिवारी, गोरख यादव, सलाहकार श्रवण कुमार तिवारी, लालजी, संचालक श्री नारायण साहनी, निदेशक दुर्गराज राजभर, संगीतकार राम लखन साहनी है, महामंत्री उमाकांत साहनी, बाल गोविंद साहनी, अमरजीत यादव, भृगुनाथ यादव, मंत्री झिनकु राजभर, तीर्थराज राजभर, अंगद राजभर, रामचरन राजभर, संगठन मंत्री मोहित साहनी, परमहंस साहनी, श्यामा राजभर, श्यामकुवर राजभर, प्रचार मंत्री लालमनी राजभर, राकेश राजभर, सहयोग मंत्री शंभू साहनी, परदेसी साहनी, आरजू राजभर, श्री राम राजभर तथा निरीक्षण एवं देख रेख मंत्री अमित साहनी, अंगद साहनी, सन्तोष राजभर, घुरहु राजभर, आदि लोग रामलीला को सफल बनाने में पूरी तन्मयता के साथ लगे रहे। 

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